‘मशीनी युग ने कितने ही हाथ काट दिए हैं’ -इस पंक्ति के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि हाथ से किए जाने वाले उद्योग- धंधे मशीनों द्वारा किए जाने लगे हैं। ऐसे में हाथ से काम करने वाले लोग या तो बेरोजगार हो गए हैं या फिर अपने पैतृक (पूर्वजों के) कार्यों को छोड्कर दूसरे कार्य करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
इस पाठ में भी जब लेखक को यह पता चलता है कि बदलू की हाथ से बनने वाली लाख की चूड़ियों का स्थान मशीन से बनने वाली काँच की चूड़ियों ने ले लिया है तो उसे बहुत दु:ख होता है।
बचपन में जब लेखक गरमी की छुट्टियों में अपने मामा के घर रहने जाता तो उस ‘बदलू काका’ से लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ लेने का चाव होता था। ये गोलियां इतनी सुंदर होती थी कि कोई भी बच्चा इनकी और आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था।
वह बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ इसलिए कहता था क्योंकि गाँव के सारे बच्चे उस ‘बदलू काका’ के नाम से पुकारते थे।