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आलस्यं हि मुनष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः । नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वाSयं नाSवसीदति ॥

Pankaj Patel 0
आलस्यं हि मुनष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः ।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वाSयं नाSवसीदति ॥

आलस्यं हि मुनष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः ।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वाSयं नाSवसीदति ॥

भावार्थ:

सचमुच आलस्य (अकर्मण्यता) एक व्यक्ति के शरीर में स्थित एक महान शत्रु के समान होता है, और इस के विपरीत उद्यमिता और कर्मठता के समान कोई मित्र नहीं होता है, जिसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी अवसादित और परास्त नहीं होता है।

English

Aalasyam hi manushyaanaam shareerastho mahaan ripuh.
Naastyudyamsamo bandhuh krutvaayam naavaseedati.

Idleness and laziness existing in a person is like a great enemy to him, and there is no friend equal to diligence and industriousness and by doing so one never gets disheartened and depressed in his lifetime.

(इससे पहले का सुभाषित – ( (अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणम् । चातुर्यं भूषणं नार्या उद्द्योगो नर भूषणम् ॥ )

Pankaj Patel

कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है। Follow his work at www.zigya.com

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