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त्रिभूवनदास पटेल – ‘अमूल’ के स्वप्नद्रष्टा

Rina Gujarati 0
त्रिभूवनदास पटेल

त्रिभुवनदास पटेल ( जन्म: 22 अक्टूबर, 1903; मृत्यु: 3 जून, 1994) भारत में दुग्ध क्रान्ति, जिसे ‘श्वेत क्रान्ति’ भी कहा जाता है, के जनक माने जाते हैं। भारत को दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए श्वेत क्रांति लाने वाले त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल को देश में सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखने का श्रेय जाता है।

देशभर मे या दुनिया मे “अमूल” की बात होती है तब लोग डॉ॰ कुरियन को श्रेय देते है। कुरियन साहब का बड़ा योगदान है, पर एक प्रसंग जानोगे तो सच सामने आ जाएगा। जब खेड़ा मे नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना और समस्त देश की दुग्ध राजधानी खेड़ा को बनाने की प्रक्रिया चल रही थी तब तत्कालीन केरल के मुख्यमंत्री ने डॉ॰ वर्गीस कुरियन से यह काम केरल मे करने की विनती करी। उसके जवाब मे डॉ॰ कुरियन ने कहा की मै अकेला कुछ नहीं कर सकता। आप केरल मे सारी सुविधा दे सकते हो पर क्या एक त्रिभूवनदास पटेल दे सकते हो? यह विकास और सहकारिता सही मे उनकी सोच, लगन और सेवा से ही विकसित हो सकती है। श्री टी. के. पटेल अपने आप मे एक दीर्घद्रष्टि व्यक्तित्व थे। ऊपर से सरदार पटेल और गांधीजी के साथ उन्होने काम किया था। सही मे अमूल या गुजरात की दुग्ध क्रांति और वहाँ से पूरे देश की ‘श्वेत क्रांति’ गांधीजी और खास कर सरदार पटेल की सोच थी। जिसे त्रिभूवनभाई पटेल ने डॉ॰ कुरियन की मदद और अपनी महेनत से साकार की।

प्रारम्भिक जीवन

त्रिभुवनदास पटेल का जन्म 22 अक्टूबर, 1903 को गुजरात में हुआ था। इनके पिता के. बी. पटेल में और पूरे परिवार में राजनैतिक वातावरण था। त्रिभुवनदास पटेल ने अपनी जीविका अपने देशबंधु प्रिटिंग प्रेस से शुरू की, लेकिन उनका प्रारम्भिक जीवन गाँधी जी तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ स्वतंत्रता आन्दोलनों में बीता। वर्ष 1930, 1935 तथा 1942 में पटेल तीन बार जेल गए। स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1964 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया। वह गाँधीवादी होने के नाते काँग्रेस पार्टी से जुड़े हुए थे और वह दो बार 1967-1968 तथा 1968-1974 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। त्रिभुवनदास पटेल छह पुत्रों तथा एक पुत्री के पिता बने। श्वेत क्रांति के मूल प्रोजक्ट के अलावा इन्होंने खेड़ा जिले में सात सामुदायिक निवास के प्रोजेक्ट चलाए तथा उनसे सक्रियता से जुड़े रहे।

अमूल – सहकारिता का एक अनोखा मॉडल

कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने दूध के उत्पादन का प्लांट लगाया और इस तरह ‘अमूल’ की स्थापना हुई। इस व्यवस्था से गुजरात में पूरे साल दूध का उत्पादन होने लगा और इसका जुड़ाव मुम्बई की आरे कॉलोनी के संयंत्र से हो गया, जहाँ पूरे वर्ष दूध की खपत होती रहती है। इससे खेड़ा यूनियन की स्थापना को मुम्बई सरकार, यूनीसेफ (UNICEF) तथा बहुत से देशों से आर्थिक सहायता मिलनी शुरू हुई। विकास के अगले क्रम में कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने मिलकर दूध के पाउडर, कंडेस्ड मिल्क तथा बच्चों के लिए मिल्क फूड का भारत में पहला प्लांट खड़ा किया। यह दुनिया में एक अनोखा अकेला प्लांट बना, जो भैंस के दूध को पाउडर में बदल सकता था। इसके बाद त्रिभुवनदास पटेल तथा कुरियन के उद्यम ने गुजरात को-अपारेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) की स्थापना की, जो खेड़ा यूनियन के उत्पादों की वितरण व्यवस्था सम्भालने लगा और आज भी ‘अमूल’ के उत्पादों की बिक्री और वितरण-विस्तार का काम सम्भाल रहा है। सामुदायिक नेतृत्व के लिए त्रिभुवनदास पटेल को 1963 में रोमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला।

निधन

त्रिभुवनदास पटेल का निधन 3 जून, 1994 को हुआ।

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

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