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अभिमन्यु अनत – मॉरीशस के उपन्यास सम्राट

Rina Gujarati 0
अभिमन्यु अनत

अभिमन्यु अनत (जन्म- 9 अगस्त, 1937, मॉरीशस; मृत्यु- 4 जून, 2018) मॉरीशस में हिन्दी कथा साहित्य के सम्राट अभिमन्यु अनत ने 18 वर्षों सतक हिन्दी का अध्यापन किया और तीन वर्षों तक युवा मंत्रालय में ‘नाट्य कला विभाग’ में नाट्य प्रशिक्षक रहे। उन्होंने अपने उच्च-स्तरीय हिन्दी उपन्यासों और कहानियों के द्वारा मॉरीशस को हिन्दी साहित्य को उच्च मंच पर प्रतिष्ठित किया।

अभिमन्यु अनत का जन्म 9 अगस्त, 1937 ई. को त्रिओले, मॉरीशस में हुआ था। मॉरीशस निवासी और वहीं पर पले-बढ़े अभिमन्यु अनत ने हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में जो सहयोग किया है, वह प्रशंसनीय है। अभिमन्यु के पूर्वज अन्य भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों द्वारा वहाँ गन्ने की खेती में श्रम करने के लिए लाये गए थे। मज़दूरों के रूप में गये भारतीय वहीं पर बस गए। मॉरीशस काल-क्रम से अंग्रज़ों के शासन से मुक्त हुआ। भारतीय जो श्रमिक बनकर वहाँ गए थे, उनकी दूसरी-तीसरी पीढ़ियाँ आज पढ़ी-लिखी और सम्पन्न हैं। अभिमन्यु की भारतीय पृष्ठभूमि ने उन्हें हिन्दी की सेवा के लिए उत्साहित किया और उन्होंने अपने पूर्वजों की मातृभूमि का ऋण अच्छी तरह से चुकाया। मॉरीशस के महान् कथा-शिल्पी अभिमन्यु अनत ने हिन्दी कविता को एक नया आयाम दिया है। उनकी कविताओं का भारत के हिन्दी साहित्य में भी महत्त्वपूर्ण स्थान है।

अठारह वर्षों तक हिन्दी का अध्यापन करने के पश्चात् तीन वर्षों तक अभिमन्यु अनत युवा मंत्रालय में नाट्य प्रशिक्षक रहे। मॉरीशस के ‘महात्मा गांधी इंस्टीटयूट’ में भाषा प्रभारी के पद से सेवानिवृत्त होने के अभिमन्यु अनत वहीं के ‘रवींद्रनाथ टैगोर इंस्टीटयूट’ के निदेशक पद पर रहे। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित अनत जी के पाठकों की संख्या भारत में भी कम नहीं है। विद्रोही लेखक की छवि धारण कर उन्होंने सदैव हिन्दी के प्रसार की बात की।

शांत, सौम्य व्यक्तित्व के धनी अभिमन्यु अनत मॉरीशस ही नहीं, वरन् पूरे हिन्दी जगत् के शिरोमणि हैं। मॉरीशस में उनकी छवि विद्रोही लेखक के रूप में होती है। उनकी लेखनी में सदैव आमजन की भावना मुखरित होती है। पद का लालच उन्हें कभी बांध नहीं पाया। अपनी लेखनी को सशक्त बनाने के लिए कई बार उन्होंने पद को भी ठोकर मार दी। मॉरीशस में हिन्दी साहित्य और अभिमन्यु एक दूसरे के पूरक हैं।

आज किसी भी भारतीय साहित्यकार के साथ अभिमन्यु अनत का तुलनात्मक अध्ययन कर शोध का प्रारूप दिया जा सकता है। उनकी लेखनी में सदैव मॉरीशस के आमजन की परेशानियों को उकेरा जाता रहा है। उन्हें कभी भी सत्ता का भय आक्रांत नहीं कर पाया। उन्होंने कई बार अपनी लेखनी के माध्यम से सत्ता को चुनौती प्रदान की। भारत से बाहर हिन्दी के प्रति इतना अनुराग बहुत कम लोगो को देखने मे आता है। वैसे भी हमे अगर विश्वगुरु बनना है तो अपनी भाषा और उसके द्वारा संस्कृति का दुनिया को परिचय करना होगा। अनत जी ने वही काम किया है जिसका हमारे देश मे भी यथोचित सम्मान होना चाहिए। अंग्रेजी भाषा को प्राथमिकता देने के पीछे दिखावा प्रवृत्ति को मुख्य कारण मानने वाले अभिमन्यु अनत के साथ लगभग पच्चीस सालों से संपर्क में रहने वाले साहित्यकार अशोक चक्रधर उन्हें हिन्दी साहित्य की महानिधि मानते हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं में 60 से अधिक पुस्तकों के रचयिता श्री अनत का उपन्यास ‘लाल पसीना’ कालजयी कृति के रूप में विख्यात हो चुका है।

उपन्यास के क्षेत्र में अभिमन्यु अनत ‘मॉरीशस के उपन्यास सम्राट” है। उनके अभी तक 29 उपन्यास छप चुके हैं। पहला उपन्यास ‘और नदी बहती रही’ सन 1970 में छपा था तथा उनका नवीनतम उपन्यास ‘अपना मन उपवन’ है। उनका प्रसिद्ध उपन्यास ‘लाल पसीना’ सन 1977 में छपा था, जो भारत से गये गिरमिटिया मज़दूरों की मार्मिक कहानी है। अब इसका अनुवाद ‘फ्रेंच भाषा’ में हो चुका है। इस उपन्यास की दो अन्य कड़ियाँ भी प्रकाशित हुई, जिनके शीर्षक हैं- ‘गांधीजी बोले थे’ (1984) तथा ‘और पसीना बहता रहा’ (1993)। भारत से बाहर हिन्दी में इस त्रिखंडी उपन्यास को लिखने वाले वे एकमात्र उपन्यासकार हैं, जिनमें भारतीय मज़दूरों की महाकाव्यात्मक गाथा का जीवन्त वर्णन हुआ है। अभिमन्यु अनत अपने देश के भूमिपुत्र हैं तथा अनी जातीय परम्परा के राष्ट्रीय उपन्यासकार हैं। मॉरीशस की भूमि, वहां की संस्कृति, वहां के अंचल, वहां की सन्तानें सभी उनकी लेखकीय आत्मा के अंग हैं। वे अपने देश के वर्तमान की त्रासदियों, क्रियाकलापों, औपनिवेशिक दबाव और विसंस्कृतिकरण की दुष्प्रवृत्तियों का बड़ी यथार्थता के साथ उद्घाटन करते हैं तथा जीवन मूल्यों तथा आदर्शवाद को साथ लेकर चलते हैं।

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

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