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Posts tagged as “चाणक्य निती”

जानीयात्प्रेषणे भृत्यान्बान्धवान् व्यसनागमे। मित्रं चापत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥

Rina Gujarati 0

जानीयात्प्रेषणे भृत्यान्बान्धवान् व्यसनागमे । मित्रं चापत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥ (१/११) ॥ भावार्थ:- नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन  न कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा…

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता। पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संस्थितिम् ॥१०॥

Rina Gujarati 0

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संस्थितिम् ॥१/१०॥ भावार्थ:- जिस प्रदेश में जीवनयापन के साधन, जनता में निषिद्ध कार्यों को करने पर राज्य द्वारा दण्डित होने…