अभी रह तो शुरू हुई है, मंजिल बैठी दुर है | उजियाला महलो में बंदी, हर दीपक मजबूर है ||
दुनिया में समानता की भावना फ़ैलाने की अभी तो ररुआता हुई है | समानता का भाव पूरी तरह फ़ैलाने में अभी बहुत प्रयत्न करने पड़ेंगे | बिजली की रोहाणी अभी केवल महलो - धनी के घरो में ही | बरीबो के घरो में अब भी दीपक ही जल रहे है |
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कविता के अनुसार अब तक किना चीजो का बटवारा हो चुका है ?