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भारत

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हिन्दी कक्षा 8 प्रथम सत्र

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ऋषियों ने बालक का नाम सर्वदमन क्यों रखा ?

इस एकाकी के आधार पर बालक सर्वदमन की विशेषताओ का वर्णन कीजिए |

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इस एकाकी में निम्नलिखित पात्रो में अतनिरहिता मूल्य बताइए |

(१) दुष्यंत 
(२) सर्वदमन


(१) दुष्यंत - राजा दुष्यंत कोमल हृदय के व्यक्ति है | बालक सर्वदमन की बालचेष्टाए उन्हें मुग्ध कर देती है | उसके प्रति राजा के मन में स्नेह उमड़ने लगता है | वे सोचते है की यह उनका पुत्र होता तो कितना अच्छा होता ! फ़िर ऐसी घटनाए घटती है जिनसे सिद्व हो झाटा है की बालक सर्वदमन उन्ही का युत्र है | तब दुष्यंत के नदा की सीमा नहीं रहती | उनका पितृहृदय वात्सल्य से भरा आता है |

(२) सर्वदमन - सर्वदमन असाधारण बालक है | आश्रम की तपश्विनिया उसे सिहशावक को छोड़ देने के लिए समझाती है, पर वह उनकी बात नहीं मानता | दूष्यंत से वहा ज़रा भी परिचित नहीं है, फ़िर भी वह उनके कहने पर सिहशावक को छोड़ देता है | उसकी सूरत भी दुष्यंत की सूरत से मिलती है | 'अपराजित' नामक रक्षासूत्र भी प्रमाणित कर देता है की सर्वदमन दुष्यंत का ही पुत्र है | इस प्रकार पिता और पुत्र दोनों एक-दूसरे से अनजान है, फ़िर भी उनके बिच पिता-पुत्र जैसी भावधारा बहाने लगती है |


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सर्वदमन के व्यवहारों को देखकर दुष्यंत के मन में कोन-कौन-से विचार आते थे ?


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