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भाषा के विषय में डॉ.कलाम ने क्या बतया ?
बचपन में हमें मातृभाषा को महत्व देना चाहिए |
मातृभाषा माँ की भाषा है | माता की गोद में हम उसी में सोचना विचरने की भाषा ही महारी अभिव्यक्ति की भाषा हो सकती है | मातृभाषा में हम अपने हृदय मन के भावो को सरल और प्रभावी ढंग से प्रकट कर सकते है | इसलिए बचपन में हमें मातृभाषा को ही महत्व देना चाहिए |
अग्रेजी विदेशी भाषा है | उसे पढने-सीखने में बहुत प्रयत्न करना पडता हे | उसमे प्रवीण होने पर भी अपने हृदय के भाव हम उसमे असरकारक ढग से प्रकट नहीं करा सकते | इसलिए अग्रेजी भाषा का स्थान नहीं ले सकती |