रजा के पसंदीदा पफ्रेंचकलाकार कौन थे?
-रजा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार ये थे -
- सेजाँ - मातीस
- वॉन गॉग - शागाल
- गोगाँ - ब्राँक
- पिकासो
बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रजा ने क्या-क्या संघर्ष किए?
बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रजा को बहुत संघर्ष करना पड़ा। वह वहाँ दिन भर ऑर्ट डिजाइनर की नौकरी करता था और सायं छह बजे के बाद अध्ययन के लिए मोहन आर्ट क्लब जाता था। वहाँ उसे रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। कई स्थान बदलने पड़े। उसने बड़े परिश्रमपूर्वक अध्ययन किया और काम में पूरी तरह डूब गया। उसे बॉम्बे दिसे सोसाइटी का स्वर्ण पदक भी मिला। लेखक का काम निरंतर निखरता चला गया। लोग उसके चित्र खरीदने लगे। अब उसके लिए नौकरी छोड्कर केवल अध्ययन में रू पाना संभव हो सका। 1947 में उसे जे. जे. स्कूल ऑफ ऑर्ट में नियमित छात्र के रूप में प्रवेश मिल ही गया। अब वह अपना खर्चा उठा सकने में समर्थ हो चुका था।
रजा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की?
लेखक रजा को पहले मध्यप्रदेश सरकार ने बंबई के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स में दाखिला लेने के लिए छात्रवृत्ति दी’ थी। लेखक जब बंबई पहुँचा तब तक जे. जे. स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था। अत: छात्रवृत्ति वापस ले ली गई। तब मध्यप्रदेश सरकार ने उसे अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की। लेखक ने इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उसने बंबई में रहकर अध्ययन करने का निश्चय कर लिया था। उसे यह शहर पसंद आ गया था। उसने वहाँ से न लौटने का निश्चय किया। अब वह अकोला में नौकरी करने का इच्छुक नहीं था।
1947 और 1948 में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं। 1947 में उसे जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला मिल गया। 1948 में उसके पिताजी का देहांत हो गया। इससे पहले माँ का देहांत हो चुका था। 1947 में विभाजन की त्रासदी भी सामने थी। उत्साह और उदासी का मिला-जुला वातावरण था। लेखक के ऊपर अचानक जिम्मेदारियों का बोझ आ पड़ा था। तब लेखक केवल 25 वर्ष का था। 1948 में वह श्रीनगर में फँस गया था।
(क) किसने, किस संदर्भ में कही?
(ख) रजा पर इसक। क्य प्रभाव पडा?
(क) यह बात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए बेसाँ ने लेखक से कही। उन्होंने रजा के चित्र देखकर यह टिप्पणी की थी।
(ख) रजा पर इसका गहरा अनुकूल प्रभाव पड़ा। उसने बंबई लौटकर फ्रेंच सीखने के लिए अलायांस फ्रांसे में दाखिला ले लिया (टिप्पणी के समय वह श्रीनगर में था।)