निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
मूल उपन्यास में अपू और दुर्गा के 'भूलो 'नामक पालतू कुत्ते का उल्लेख है । गांव से ही हमने एक कुत्ता प्राप्त किया, और वह भी हमसे ठीक बर्ताव करने लगा । फिल्म में एक दृश्य ऐसा है - अपू की माँ सर्वजया अन् को भात खिला रही है । भूलो कुत्ता दरवाजे के सामने अगिन में बैठकर अपू का भात खाता देख रहा है । अपू के हाथ में छोटे तीर-कमान हैं । खाने में उसका पूरा ध्यान नहीं है । वह माँ की ओर पीठ करके बैठा हुआ है । वह तीर-कमान खेलने के लिए उतावला है ।
1. मूल उपन्यास में किस बात का उल्लेख है? वह कहाँ मिला?
2. फिल्म का दृश्य कैसा था?
3. अपू की क्या दशा है?


1. मूल उपन्यास में अपू और दुर्गा के पालतू कुत्ते 'भूलो 'का उल्लेख है । लेखक को ऐसा एक कुत्ता गाँव में ही मिल गया । वह ठीक से बर्ताव भी करने लगा ।
2. फिल्म का एक दृश्य ऐसा. था जिसमें अपू की माँ सर्वजया अपू को भात खिला रही है। भूलो (कुत्ता) दरवाजे के पास बैठकर अपू को भात खिलाना देख रहा है ।
3. अपू के हाथ में तीर-कमान हैं । उसका ध्यान भात खाने में नहीं है । वह माँ की ओर पीठ करके बैठा है । वह तीर-कमान खेलने के लिए उतावलापन दिखा रहा है ।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
रासबिहारी एवेन्यू की एक बिल्डिंग में मैंने एक कमरा भाई पर लिया था, वहां पर बच्चे इंटरव्यू के लिए आते थे । बहुत-से लड़के आए, लेकिन अपू की भूमिका के लिए मुझे जिस तरह का लड़का चाहिए था, वैसा एक भी नहीं था । एक दिन एक लड़का आया । उसकी गर्दन पर लगा पाउडर देखकर मुझे शक हुआ । नाम पूछने पर नाजुक आवाज में वह बोला-' टिया '। उसके साथ आए उसके पिताजी से मैंने पूछा,' क्या अभी-अभी इसके बाल कटवाकर यहाँ ले आए हैं?' वे सज्जन पकड़े गए । सच छिपा नहीं सके बोले, 'असल में यह मेरी बेटी है । अपू की भूमिका मिलने की आशा से इसके बाल कटवाकर आपके यहां ले आया हूं ।'
1. बच्चे इंटरव्यू के लिए कहाँ आते थे?
2. लेखक को किसकी तलाश थी?
3. एक सज्जन किस बात पर पकड़े गए?


1. लेखक (निर्देशक) ने रासबिहारी एवेन्यू की बिल्डिंग में एक कमरा किराए पर ले लिया था । वहीं पर बच्चे इंटरव्यू देने आते थे । वहाँ बहुत से लड़के इस काम के लिए आए।
2. लेखक को एक ऐसा लड़का चाहिए था जो अपू की भूमिका के लिए उपयुक्त हो । यह एक छोटा छह साल का लड़का होना चाहिए, पर काफी प्रयास के बाद उपयुक्त लड़का नहीं मिल पा रहा था ।
3. एक दिन एक सज्जन एक लड़की को लड़का बनाकर ले आए । उसकी गर्दन पर पाउडर लगा हुआ था, जिसे देखकर लेखक को शक हो गया । लड़की तभी लड़के की तरह बाल कटवाकर आई थी । लेखक ने उस सज्जन को पकड़ लिया ।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
उस घर के एक हिस्से में एक के पास एक ऐसे कुछ कमरे थे। वे हमने फिल्म में नहीं दिखाए। उन कमरों में हम अपना सामान रखा करते थे। एक कमरे में रिकार्डिंग मशीन लेकर हमारे साउंड-रिकॉर्डिस्ट भूपेन बाबू बैठा करते थे। हम शूटिंग के वक्त उन्हें देख नहीं सकते थे, फिर भी उनकी आवाज सुन सकते थे। हर शॉट के बाद हम उनसे पूछते, 'साउंड ठीक है न? 'भूपेन बाजू इस पर 'हां या 'ना 'जवाब देते।
1. यहाँ किस घर का उल्लेख है?
2. सामान कहाँ रखा जाता था?
3. भूपेन बाबू क्या काम करते थे?


1. लेखक ने 'पथेर पांचाली 'की शूटिंग के लिए जो घर किराए पर लिया था, वह एकदम ध्वस्त अवस्था में था। उसके मालिक कलकत्ता में रहते थे। लेखक ने उस घर की मरम्मत करवाकर उसे शूटिंग के लायक बनवाया था। यहाँ उसी घर का उल्लेख है।
2. लेखक का फिल्म निर्माण संबंधी सामान घर के उन कमरों में रखा जाता था जिन्हें शूटिंग में नहीं दिखाया जाता था। वे कमरे बिकुल अलग से थे।
3. भूपेन बाबू साउंड रिकॉर्ड करने का काम करते थे। शूटिंग के वक्त वे दिखाई नहीं देते थे, फिर श्री उनकी आवाज सुनी जा सकती थी। हर शॉट के बाद उनसे पूछा जाता था कि साउंड ठीक है या नहीं? उनके 'हाँ 'कहने पर ही काम आगे चलता था।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
आखिर एक दिन हुआ भी वैसा ही । शरद् ऋतु में भी आसमान में बादल छा गए और धुआँधार बारिश शुरू हुई । उसी बारिश में भीगकर दुर्गा भागती हुई आई और उसने पेड़ के नीचे भाई के पास आसरा लिया । भाई-बहन एक-दूसरे से चिपककर बैठे । दुर्गा कहने लगी-' नेत्-पाता करमचा, हे वृष्टी घरे जा! 'बरसात, ठंड, अपू का बदन खुला, प्लास्टिक के कपड़े से ढके कैमरे को खि लगाकर देखा, तो वह ठंड लगने के कारण सिहर रहा था । शॉट पूरा होने के बाद दूध में थोड़ी ब्रांडी मिलाकर दी और भाई-बहन का शरीर गरम किया । जिन्होंने 'पथेर पांचाली 'फिल्म देखी है, वे जानते ही हैं कि वह शॉट बहुत अच्छा चित्रित हुआ है ।
1. आखिर एक दिन कैसा हुआ?
2. दुर्गा ने क्या अभिनय किया?
3. शॉट पूरा होने के बाद क्या किया गया?


1.  लेखक बरसात में एक सीन की शुटिंग करना चाहता था, पर समस्या यह थी जब तक पैसों का इंतजाम हुआ तब तक बरसात बीत चुकी थी। अक्टूबर आ गया था। लेखक अकबर में शरद् की बरसात की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि अपने सीन की शुटिंग कर सके। आखिर एक दिन शरद् ऋतु में धुआँधार बारिश हो ही गई और लेखक को अपना सीन सूट करने का मौका मिल गया।
2. दुर्गा बारिश में भीगती हुई आई और उसने पेड़ के नीचे अपने भाई के पास आसरा लिया। बहन- भाई एक-दूसरे से चिपटकर बैठे। दुर्गा कहती है-' नेबूर-पाता करमचा, हे वृष्टी घरे जा। 'अर्थात् नींबू के पत्ते खट्टे हो गए हैं, हे बादल अब अपने घर वापस जाओ। यह शॉट बहुत अच्छा चित्रित हुआ।
3. शॉट पूरा होने के बाद पता चला कि अपू ठंड लगने के कारण सिहर रहा है। अत: दूध में थोड़ी ब्रांडी मिलाकर उन्हे पिलाई गई। इस प्रकार भाई -बहन के शरीर को गरम किया गया।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
शूटिंग की शुरूआत में ही एक गडबड हो गई । अपू और दुर्गा को लेकर हम कलकत्ता से सत्तर मील पर पालसिट नाम के एक गांव गए । वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । अपू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं-इस सीन की शूटिंग हमें करनी थी । यह सीन बहुत ही बड़ा था । एक दिन में उसकी शुटिंग पूरी होना नामुमकिन था । कम-से-कम दो दिन लग सकते थे । पहले दिन जगद्धात्री पूजा का त्योहार था । दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू काशफूलों के वन में पहुंचता है । सुबह शूटिंग शुरू करके शाम तक हमने सीन का आधा भाग चित्रित किया । निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता-अभिनेत्री हम सभी इस क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए ही थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर हम घर पहुंचे । सात दिनों के बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, तो वह जगह हम पहचान ही नहीं पाए! लगा, ये कहां आ गए हैं हम? कहाँ गए वे सारे काशफूल । बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे! अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से 'कंटीन्यूइटी 'नदारद हो जाती!
1. लेखक को किस सीन की शूटिंग करनी थी?
2. पूरा सीन शूट करने में दिक्कत क्या थी?
3. बाद में क्या समस्या सामने आ गई?


1. लेखक को एक बहुत लंबा सीन शूट करना था । इसमें अप्पू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं । रेललाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । लेखक अपू और दुर्गा को लेकर कलकत्ता से सत्तर मील दूर पालसिट नामक गाँव में इस सीन की शूटिंग करने गया था ।

2. पूरा सीन एक दिन में शूट करने में यह दिक्कत थी कि यह सीन बहुत लंबा था । एक दिन में उसकी शूटिंग नामुमकिन थी । इसमें कम-से-कम दो दिन लग सकते थे । एक दिन में आधा सीन ही शूट हो पाया ।

3. लेखक सीन का दूसरा भाग शूट करने के लिए शूटिंग-स्थल पर सात दिनों के बाद गया तो वहाँ का सारा प्राकृतिक दृश्य गायब था । बीच के सात दिनों में जानवरों ने मैदान के सारे काशफूल खा डाले थे । इससे फिल्म की कंटीन्युइटी नदारद हो गई।

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