यदि चंपा पड़ी-लिखी होती, तो कवि से कैसे बातें करती?
यदि चंपा पड़ी-लिखी होती तो वह कवि से सोच-समझकर बात करती। तब शायद उसमें उतनी सहजता नहीं होती, जितनी अब है। उसकी बातों में बनावटीपन की झलक हो सकती थी।
चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?
चंपा नहीं चाहती कि उसका पति उसे छोड़कर कलकत्ता चला जाए। जब कलकत्ता ही बजर गिरने से नष्ट हो जाएगा तब कलकत्ता उसके पति को नहीं बुला पाएगा।
लाक्षणिक अर्थ में चम्पा शोषक व्यवस्था के प्रतीक कलकत्ता के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है। कलकत्ते पर वजवज्रिरने की कामना जीवन के खुरदरेपन के प्रति चम्पा के संघर्ष एवं जीवटता को प्रकट करता है।
चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?
चंपा को इस बात पर विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी। वह गांधी बाबा को अच्छा आदमी मानती है और उसकी दृष्टि में पढ़ने-लिखने की बात कहने वाला अच्छा नहीं हो सकता।
व्यंग्यार्थ यह है कि पक्ष-लिखकर व्यक्ति अपनी सहजता खो बैठता है। तब वह शोषक व्यवस्था का एक अंग बन जाता है। शोषक कभी आम आदमी के भले की बात नहीं कह सकता।
आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूँगी?
हमारे विचार में चंपा ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि मैं नहीं पढूँगी
-वह पढ़ने-लिखने को कोई बहुत अच्छा काम नहीं मानती।
-यह पढ़ने-लिखने वाले लोग शोषक व्यवस्था का अंग बन जाते हैं।
-वह अभी पढ़ाई-लिखाई का महत्त्व नहीं समझती।
कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है-
1. चंपा अनपढ़ है और इसी स्थिति में रहना चाहती है।
2. वह पढ़ी गई बातों को भली प्रकार समझ लेती है।
3. चम्पा स्पष्टवक्ता है। वह अपनी बात घुमा-फिराकर नहीं कहती, स्पष्ट रूप में कहती है।
4. चम्पा शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है।
5. वह अपने भविष्य को सुरक्षित कर लेना चाहती है।
6. वह कामकाजी है, चरवाही का काम करती है।