साहबो, उस दिन अपन मटियामहल की तरफ से न गुजर बाते तो राजनीति, साहित्य और कला के हजारों-हजार मसीहों के धूम- धड़क्के में नानबाइयों के मसीहा मियां नसीरुद्दीन को कैसे तो पहचानते और कैसे उठाते लुप्त उनके मसीही अंदाज का!

हुआ यह कि हम एक दुपहरी जामा-मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गढ़ैया मुहल्ले की ओर निकल गए । एक निहायत मामूली अंधेरी-सी दुकान पर पटापट आटे का ढेर सनते देख ठिठके । सोचा, सेवइयों की तैयारी होगी, पर पूछने पर मालूम हुआ खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर खड़े हैं । मियां मशहूर हैं, छप्पन किस्म की रोटियां बनाने के लिए ।

लेखिका किधर की ओर गुजर गई? न गुजरने पर क्या होता?

लेखिका ने किसे, कहाँ किस हालत में देखा?

मियाँ किसलिए मशहूर थे?


लेखिका एक दिन मटियामहल की ओर से गुजरी । लेखिका और उसके साथी जामा-मस्जिद के मटियामहल के गढ़ैया मुहल्ले की तरफ निकल गए । अगर वहाँ से न गुजरते तो नानबाइयों के ममीहा मियाँ नसीरुद्दीन से मुलाकात नहीं हो पाती ।

लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन को गढ़ैया मुहल्ले की एक निहायत मामूली अँधेरी-सी दुकान पर चारपाई पर बैठकर बीड़ी पीते हुए देखा ।

मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर थे । वे इस कला में माहिर थे तथा चारों ओर मशहूर थे ।

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मियां कुछ देर सोच में खोए रहे । सोचा पकवान पर रोशनी डालने को है कि नसीरुद्दीन साहब बड़े रुखाई से बोले- 'यह हम न बतावेंगे । बस, आप इत्त समझ लीजिए कि एक कहावत है कि न की खानदानी नानबाई कुएं में भी रोटी पका सकता है । कहावत जब भी गढ़ी गई हो, हमारे बुजुर्गो के करतब पर ही पूरी उतरती है । '

मजा लेने के लिए टोका- 'कहावत यह सच्ची भी है कि.. .... ।'

मियाँ ने तरेरा- 'और क्या झूठी है? आप ही बताइए, रोटी पकाने में झूठ का क्या काम! झूठ से रोटी पकेगी? क्या पकती देखी है कभी! रोटी जनाब पकती है आँच से, समझे! '

मियाँ नसीरुद्दीन किस सोच में पड़ गए? बाद में उन्होंने क्या उत्तर दिया?

मियाँ नसीरुद्दीन के उत्तर से उनकी किस विशेषता का पता चलता है?

गद्याशं के अत में मियाँ किस बात का दावा करते हैं?


जब मियाँ नसीरुद्दीन से उसके बुजुर्ग द्वारा बादशाह के लिए बनाये गये पकवान का नाम पूछा तो वे कुछ सोच में पड़ गए । वास्तविकता यह थी कि ऐसा कोई पकवान बनाया ही नहीं गया था । अत : वे क्या नाम बताते । बाद में उन्होंने यह उत्तर दिया-हम यह नहीं बताएँगे । खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है ।

मियाँ नसीरुद्दीन के उत्तर से उनकी चतुराई तथा सोचने की और अभिव्यक्ति की कला का पता चलता है । उन्हें किसी भी बात का उत्तर देने में महारत हासिल है ।

गद्यांश के अंत में मियाँ इस बात का दावा करते हैं कि खानदानी नानबाई कुछ भी पकाकर दिखा सकता है । रोटी पकाने में झूठ बोलने का कोई काम नहीं होता । रोटी झूठ से नहीं पकती बल्कि आँच से ही पकती है ।

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मियाँ नसीरुद्दीन ने औंखों के कंचे हम पर फेर दिए। फिर तरेरकर बोले- 'क्या मतलब? पूछिए साहब-नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा? क्या नगीनासाज के पास? क्या आईनासाज के पास? क्या मीनासाज के पास? या रफूगर, रंगरेज या तेली-तंबोली से सीखने जाएगा? क्या फरमा दिया साहब-यह तो हमारा खानदानी पेशा ठहरा । हाँ, इल्म की बात पूछिए तो बो कुछ भी सीखा, अपने वालिद उस्ताद से ही । मतलब यह कि हम घर से न निकले कि कोई पेश। अख्तियार करेंगे । जो बाप-दादा का हुनर था वही उनसे पाया और वालिद मरहूम के उठ जाने पर आ बैठे उन्हीं के ठीये पर!'

मियाँ नसीरुद्दीन ने इतना तल्ख जवाब क्यों दिया?

मियाँ नसीरुद्दीन ने विभिन्न लोगों के उदाहरण देकर क्या बात समझ की कोशिश की है?

मियाँ नसीरुद्दीन कैसे, कहाँ आ बैठे?


जब नसीरुद्दीन से पूछा गया कि उसने नानबाई की कला किससे और कैसे सीखी, तब उन्होंने यह तल्ख उत्तर दिया।

यह तो स्वाभाविक ही था कि नानबाई कला उन्होंने अपनै वालिद से सीखी । यह उनका खानदानी पेशा रहा है । नसीरुद्दीन के हिसाब से यह प्रश्न करना ही बेमानी है ।

मियाँ नसीरूद्दीन ने नगीनासाज, आईनासाज ' मीनासाज, रफूगर, रँगरेज और तेली-तंबोली का उदाहरण देकर समझाया कि इन लोगों वेन पास तो इस इल्म की तालीम मिलने से रही । जब कोई पेशा खानदानी होता है तो उसे वालिद से ही सीखकर आगे बढ़ाया जाता है । यही बात नसीरुद्दीन ने समझाने की कोशिश की है ।

मियाँ नसीरुद्दीन अपने वालिद उस्ताद से नानबाई का हुनर सीखकर यह काम करने लगे । जब उनके वालिद का इंतकाल हो गया तो वे उन्हीं के ठीये अर्थात् उसी दुकान पर यह काम करने के लिए आ बैठे ।

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इन पदों मै प्रयुक्त अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण छाँटकर लिखिए।

  • अनुप्रास अलंकार के उदाहरण:

    (1) मोर मुकुट (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)

    (2) लोक लाज (‘ल’ वर्ण की आवृत्ति)


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‘कहा करि है कोई’ पंक्ति मीरा के किस मनो भाव कों प्रकट करती है-
  • समाज की उपेक्षा

  • परिवार का निरादार

  • कृष्ण की भक्ति

  • कृष्ण की भक्ति


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