‘किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो लें हैं’- इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तना-तनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।

किस्मत शायर पर रोती है अर्थात् उससे गिला-शिकवा करती है जबकि शायर अपनी किस्मत पर रोता है। उसकी किस्मत ही खराब है। इस प्रकार शायर और किस्मत में तना-तनी चलती रहती है। दोनों का संबंध अटूट जो है। कवि कहता है कि उसका भाग्य भी कभी उसके साथ नहीं रहा। किस्मत सदैव उसके खिलाफ रही। इसलिए वह किस्मत पर भरोसा नहीं करता। जब भी भाग्य की चर्चा होती है तो वह उसके नाम पर रो लेता है।

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शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?


शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह भाव व्यंजित करना चाहता है कि जो संबंध बादलों की घटा का बिजली के साथ है, वही संबंध भाई का बहन के साथ है। राखी कोई साधारण वस्तु नहीं है। इसके लच्छे बिजली चमक की तरह रिश्तों की पवित्रता को व्यंजित करते हैं। बिजली चमककर किसी सत्य का उद्घाटन कर जाती है, इसी प्रकार राखी के लच्छे भी चमककर संबंधों के उत्साह का उद्घाटन कर जाते हैं। शायर ने रक्षाबंधन के त्योहार का रोचक वर्णन किया है। रक्षाबंधन के कच्चे धागे ऐसे हैं जैसे बिजली के लच्छे। रक्षाबंधन सावन मास में आता है। सावन मास में बादल होते हैं। घटा का जो संबंध बिजली से है वही संबंध भाई का बहन से है। कवि कहना चाहता है कि यह पवित्र बंधन बिजली की तरह चमकता है।

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सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व।


रक्षाबंधन का त्योहार सावन में आता है। सावन के महीने में आकाश में घटाएँ घिर आती हैं। घटाओं के मध्य बिजली चमकती है। इन घटाओं का संबंध रक्षाबंधन के पर्व से है। सावन का जो संबंध झीनी घटा से है और घटा का जो संबंध बिजली से है-रक्षाबंधन के पर्व मंं वही संबंध भाई का अपनी बहन से है।

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गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।


गोदी का चाँद नन्हा बालक है और दूसरा चाँद आसमान में चमकने वाला चाँद है। बच्चों को आज भी चाँद प्यारा लगता है। एक चाँद दूसरे चाँद की माँग करता है। दोनों में गहरा रिश्ता है। बालक आसमान के चाँद को खिलौना समझता है और लेने की हठ करता है। माँ चाँद की छाया दर्पण में दिखलाकर उसे बहलाती है। चाँद की परछाईं भी तो चाँद ही है।

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खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?


खुद का परदा खोलने से यह आशय है कि अपने वास्तविक स्वरूप को दर्शाना। जब हम किसी दूसरे को नंगा करने का प्रयास करते हैं तब हम स्वयं नंगे हो जाते हैं। दूसरे के रहस्य को उजागर करना अपने को बेपर्दा करना है। यदि कोई व्यक्ति दूसरे की निंदा करता है तो वह स्वयं की बुराई कर रहा होता है। इसलिए शायर ने कहा है कि मेरा रहस्य खोलने वाले अपने रहस्यों को भी बता रहे हैं।

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