धर्म-भीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच क्यों नहीं करते?

भारतवर्ष में सदा कानून को धर्म के रूप में देखा गया है। यहाँ कभी भी धर्म और कानून को अलग-अलग करके नहीं देखा। अत: कानून का पालन करना धर्म माना गया है। पर आज वर्तमान में कानून और धर्म को अलग-अलग कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, पर कानून को धोखा देने मे किसी को भी संकोच नहीं होता। यही कारण है कि धर्म-भीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते।
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भ्रष्टाचार के विरुद्ध आक्रोश प्रकट करना किस बात को प्रमाणित करता है?

भ्रष्टाचार आदि के विरुद्ध आक्रोश प्रकट करना यह प्रमाणित करता है कि हम अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता को महत्त्व देते हैं और उन्हें अच्छा समझते हैं। समाज में ऐसे लोगों की प्रतिष्ठा कम करना जो गलत तरीके से धन और मान कमाते हैं, भी यह प्रदर्शित करता है कि हम भ्रष्टाचार के विरुद्ध हैं।
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जीवन के महान मूल्यों के प्रति आस्था क्यों हिलने लगी है?


वर्तमान में समाज में ईमानदार और मेहनत करके अपना निर्वाह करने वाले को मूर्ख समझा जाता है। धोखा-धड़ी, झूठ और फरेब से काम करने वाले लोग फल-फूल रहे हैं। सच्चाई केवल डरपोक व कमजोर लोगों के लिए ही रह गई है। परिश्रमी, ईमानदार व सच बोलने वाले को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए जीवन के महान मूल्यों के प्रति हमारी आस्था कम हो गई है।
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