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इंग्लैंड के गरीब किसान थ्रेशिंग मशीनों का विरोध क्यों कर रहे थे?


(i) गरीबों के लिए सांझा ज़मीन जिन्दा रहने का बुनियादी साधन थी।
(ii) इसी ज़मीन के दम पर वे अपनी आय में कमी को पूरा करते, अपने जानवरों को पालते थे और जब फसल चौपट हो जाती तो यही ज़मीन उन्हें संकट से उबारती थी।
(iv) भूस्वामियों ने उत्पादन बढ़ाकर ज्यादा लाभ कमाने के लिए थ्रेशिंग मशीन को ख़रीदा।
(v) गरीब एवं मज़दूरों को मशीनें उनकी आजीविका से बेदखल कर रहे थीं।

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कैप्टन स्विंग कौन था? यह नाम किस बात का प्रतीक था और वह किन वर्गों का प्रतिनिधित्व करता था?


कैप्टन स्विंग मज़दूरों द्वारा मशीनों का विरोध करने के लिए बाँटे गए पर्चे का एक रहस्यमय चरित्र था। मज़दूरों ने जमीदारों को धमकी भरे पत्र लिखे। इसमें चेतावनी दी गई कि वे मशीनों के प्रयोग को रोकें क्योंकि ये मज़दूरों से उनकी जीविका छीन रही हैं। इन पत्रों को कैप्टन स्विंग नमक एक रहस्यमय चरित्र द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था।    

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इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या करें।


(i) जब ऊन के दाम विश्व बाजार में चढ़ने लगे तो संपन्न किसान लाभ कमाने के लिए ऊन का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करने लगे। इसके लिए उन्हें पेड़ों की नस्ल सुधारने और बेहतर चरागाहों की आवश्यकता हुई।

(ii) अठारहवीं शताब्दी के मध्य से इंग्लैंड की आबादी तेजी से बढ़ी। 1750 से 1900 के बीच इंग्लैंड की आबादी चार गुना बढ़ गई। 1750 में कुल आबादी 70 लाख थी जो 1850 में 2.1 करोड़ और 1900 में 3 करोड़ तक जा पहुँची।

(iii) जैसे-जैसे शहरी आबादी बढ़ी वैसे-वैसे खाद्यान्नों का बाजार भी फैलता गया। खाद्यान्नों की माँग के साथ ऊन के दाम भी बढ़ने लगे।

(iv) किसानों ने बाजार में आई नई-नई फैशन मशीनों को खरीदना शुरू कर दिया।

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अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का क्या प्रभाव पड़ा?

 

(i) श्‍वेत अप्रवासी पश्चिम की ओर बढ़े। उन्होंने एक बड़े-भूभाग को साफ किया और उस पर गेहूँ की खेती करने लगे।

(ii) 1860 के बाद मिसीसीपी नदी के पार स्थित विशालकाय मैदानों में प्रवासी आबादी का प्रसार हुआ। बाद के दशकों में यह समूचा क्षेत्र अमेरिकी गेहूँ उत्पादन का एक बड़ा क्षेत्र बन गया।

(iii) गेहूँ की माँग बढ़ने के साथ इसके दामों में भी उछाल आ रहा था। इससे उत्साहित होकर किसान गेहूँ उगाने की ओर झुकने लगे।

(iv) 1910 में अमेरिका की लगभग 4.5 करोड़ एकड़ ज़मीन पर गेहूँ की खेती की जा रही थी। 1919 में गेहूँ उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़कर 7.4 करोड़ एकड़ यानि लगभग 65% ज़्यादा हो गया था।

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अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी? संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को:
एक संपन्न किसान
एक मज़दूर
एक खेतिहर स्त्री
की दृष्टि से देखने का प्रयास करें ।


एक सम्पन्न किसान की दृष्टि से
सोलहवीं सदी में जब उन के दाम विश्व बाज़ार में चढ़ने लगे तो संपन्न किसान लाभ कमाने के लिए ऊन का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करने लगे। इसके लिए उन्हें भेड़ों की नस्ल सुधारने और बेहतर चरागाहों की आवश्यकता हुई है। नतीजा यह हुआ कि साझा ज़मीन को काट- छाँट कर घेरना शुरु कर दिया गया ताकि एक की संपत्ति दूसरे से या साझा ज़मीन से अलग हो जाए। साझा जमीन पर झोपड़ियाँ डाल कर रहने वाले ग्रामीणों को उन्होंने निकाल बाहर किया और बाड़ाबंद खेतों में उनका प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। अतः एक धनी किसान के लिए खुले खेत की पद्धति और दृष्टिकोण से लाभदायक थी।

एक मज़दूर की दृष्टि से
शुरू में मज़दूर अपने मालिक के साथ रहते हुए विभिन्न कामों में उसकी सहायता किया करते थे। किंतु 1800 ई.के आस-पास यह प्रथा गायब होने लगी। अब मज़दूरों को मज़दूरी दी जाने लगी तथा केवल फसल काटने के समय में उनकी सेवा ली जाने लगी। अपने लाभ को बढ़ाने के लिए मजदूरों पर होने वाले खर्चे में ज़मींदार लोग कटौती करने लगे। फलत: उनके लिए रोजगार अनिश्चित तथा आय अस्थाई हो गए। साल के अधिकतर समय उनके पास कोई काम नहीं था। अत: इस पद्धति का उनको फायदा नहीं था।


एक खेतिहर दृष्टि से
जब गरीब किसान घर से दूर खेतों में काम कर रहे होते थे तो महिलाएँ अपने-अपने घरों का काम कर रही होती थीं। एक खेतिहर महिला, पुरुष के कामों में भी हाथ बटाँती थी। इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक कार्यों का जैसे गौपालन, जलावन की लकड़ियों का संग्रह तथा संयुक्त क्षेत्र से फल-फूल का संग्रह की जिम्मेवारी भी महिलायें संभालती थीं। चूँकि, बाड़ायुक्त क्षेत्रों में प्रवेश निषिद्ध था फलतः उन्हें अपने कार्यों में कठिनाई होती थी। अत: यह पद्धति खेतिहर महिला के लिए भी लाभदायक थी।

 

 

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