निम्नलिखित पंक्तिओं का शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

शिल्प सौन्दर्य-
1. कवि ने मनुष्य जीवन की अलग-अलग स्थितियों का चित्रन किया है।
2. हिन्दी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है।
3. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग दृष्टव्य हैं।
7. ‘सो है वह भी आदमी’ की आवृत्ति से कविता में अद्‌भुत मोहकता आ गई है।
8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है।

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निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए:
मसज़िद भी आदमी ने बनाई है या, मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी हो कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको, ताड़ता  है सो है वो भी आदमी

भाव पक्षकवि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रंग रूपो व स्वभाव का वर्णन करते हुए कहता है, कि इस दुनिया में मसज़िद बनाने वाला भी आदमी है, वह भी आदमी है जो मसज़िद में बैठ कर नमाज़ पढ़ता है और जो कुरान शरीफ का अर्थ समझाता है, वह भी आदमी है। जो सामान्य मुसलमान उन इमामों से कुरान का अर्थ सुनते हैं और नमाज़ पड़ते हैं, वे भी आदमी हैं। इन सबके विपरीत जो दुष्ट मसजिद में आकर इमामों, नमाजियों की जूतियाँ चुरा कर ले जाते हैं, वे भी आदमी हैं, जो लोग ऐसे चोरों पर नज़र रखते हैं, वे भी आदमी हैं।
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कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?

 


‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति करने के पीछे कवि का यह उद्देश्य है कि संसार का सारा कार्य-व्यापार आदमी के सहारे से ही चल रहा है। समाज में घटित होने वाले अच्छे-बुरे सभी प्रकार के कार्य आदमियों के द्वारा संपन्न किए जाते हैं। इस कारण ईश्वर ने इस संसार में भिन्न-भिन्न प्रवृत्तियों वाले आदमियों की रचना की है।
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आदमी का आचरण कैसा होना चाहिए? कविता के आधार पर लिखिए।

इस दुनिया में विभिन्न प्रवृत्तियों वाले आदमी हैं कुछ अच्छे तो कुछ बुरे। मनुष्य को अच्छा आचरण अपनाकर समाज में यश कमाना चाहिए तथा समाज को सुंदर बनाने में योगदान करना चाहिए। वही व्यक्ति अच्छे आचरण वाला कहलाता है जो धार्मिक कार्य करता है। किसी की मदद करने को सदैव तत्पर रहता है तथा अपना सारा जीवन परोपकार में लगा देता है।
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निम्नलिखित पंक्तिओं का भाव पक्ष लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

भाव पक्ष -कवि आदमी के भिन्न-भिन्न रंग-रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं-कि इस दुनिया में तरह-तरह के आदमी हैं। जो लोगों का बादशाह बना बैठा है, वह भी आदमी है उसके पास दुनिया भर की दौलत और अधिकार है। दूसरी ओर जो बिल्कुल गरीब, भिखारी है वे भी आदमी हैं। जिसके पास बहुत दौलत है, वह भी आदमी है जो बिलकुल कमज़ोर है, वह भी आदमी है। जो स्वादिष्ट भोजन खा रहा है।, वह भी आदमी है और जिसे सूखी रोटी के टुकड़े चबाने को मिल रहे हैं, वह भी आदमी है।
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