(क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
(ख) न्यूटन के मन में यह जिज्ञासा उठी थी कि सेब पेड़ से नीचे ही क्यों गिरता है। वह ऊपर क्यों नहीं उठता। इसी जिज्ञासा को लेकर उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज की।
(ग) रामन के व्यक्तित्व के दो गुण प्रमुख थे-
- वे प्रकृति के गहरे भावुक प्रेमी थे। वे घंटों-घंटों समुद्री जल के नीले रंग को निहारते रहते थे।
- उनमें प्रकृति के रहस्यों को जानने की तीव्र इच्छा थी।
(घ) लेखक ने रामन् को भावुक प्रकृति प्रेमी इसलिए कहा है क्योंकि उन्हें जहाज के डेक पर खड़े होकर समुद्र को निहारना अच्छा लगता था। वे घंटों-घंटों समुद्र की नीली आभा में खोए रहते थे।
(क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चंन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
(ख) रामन् ने खोजा कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरणें किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ में से गुजरती है तो उनका रंग बदलने लगता है।
(ग) जब ठोस, रवे या तरल पदार्थ में से एकवर्णीय प्रकाश- की किरणें गुजरती हैं तो प्रकाश के फोटॉन इनके अणुओं से टकराते हैं। इस टकराव के कारण या तो ये अपनी ऊर्जा का कुछ अंश खो देते है या पा लेते है। इसी कमी या वृद्धि के कारण वर्ण में परिवर्तन होता है।
(घ) विभिन्न एकवर्णीय प्रकाश की किरणों की ऊर्जा भिन्न-भिन्न होती है। बैंजनी रंग में सर्वाधिक ऊर्जा होती है। उसके बाद क्रमश: नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी, और लाल रंग में ऊर्जा होती है। लाल रंग का एकवर्णीय प्रकाश सबसे कम ऊर्जावान होता है।
(क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
(ख) कलकत्ता के बहू बाजार में ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ सांइस’ नाम एक प्रयोगशाला था। इसके संस्थापक थे डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार। रामन् इसी प्रयोगशाला में आकर प्रयोग किया करते थे।
(ग) यह प्रयोगशाला एक ही व्यक्ति के प्रयत्नों तथा साधनों से चलाई जा रही थी। इसलिए इसमें उन्नत उपकरण तथा अन्य साधन नहीं थे। पैसे का अभाव था जो भी उपकरण थे कामचलाऊ थे इसलिए इसे कामचलाउ कहा गया है।
(घ) हठयोग की साधना के मूल में साधक का हठ काम करता है। रामन् अपनी सरकारी नौकरी पूरी करने के बाद लौटते समय एक काम चलाऊ प्रयोगशाला में जाकर प्रयोग करते थे। उनके पास न साधन थे, न समय। केवल इच्छा शक्ति पर ही वे काम कर रहे थे।