Long Answer Type

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निम्‍नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के उतर दीजिए :
तुम सही कहते हो जनरल साहब के सभी कुत्ते महँगे और अच्छी नस्ल के हैं, और यह − जरा इस पर नज़र तो दौड़ाओ । कितना भद्दा और मरियल-सा पिल्ला  है। कोई सभ्य आदमी ऐसा कुत्ता काहे को पालेगा? तुम लोगों का दिमाग ख़राब तो नहीं हो गया है? यदि इस तरह का कुत्ता मॉस्को या पीटर्सवर्ग में दिख जाता तो मालूम हो उसका क्या हश्र होता? तब कानून की परवाह किए बगैर इसकी छुट्टी कर दी जाती। तुझे इसने काट खाया है, तो प्यारे एक बात गाँठ  बाँध ले, इसे ऐसे मत छोड़ देना। इसे हर हालत में मजा चखवाया जाना ज़रूरी है ।

(क) इंस्पेक्टर ने कुत्ता जनरल साहब के नहीं होने के क्या प्रमाण प्रस्तुत किए?
(ख) गद्यांश के आधार पर ओचुमेलॉव के चरित्र पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) इंस्पेक्टर कुत्ते के साथ कैसा व्यवहार चाहता था?


अथवा


संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्‍सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्‍सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था, अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगे है।

(क) धरती किसी एक की नहीं है − ऐसा क्यों कहा गया है?
(ख) धरती की हिस्‍सेदारी में दीवारें किसने और क्यों खड़ी कर दी हैं?
(ग) पहले की अपेक्षा अब लोगों के रहने का जीवन कैसे सिमटने लगा है? 


(क) इंस्पेक्टर ने ये प्रमाण दिए कि यह कुत्ता अच्छी नस्ल का नहीं है। दिखने में भद्दा और मरियल-सा है। कोई सभ्य व्यक्ति इस नस्ल के कुत्ते को नहीं पालेगा।

(ख) गद्यांश के आधार पर पता चलता है कि उसमें स्वयं सोचने-समझने की क्षमता नहीं है। कभी कुछ कहता है और कभी कुछ। कानून का रक्षक होने के बाद भी वह कानून तोड़ने की बात कहता है। उसे कानून की परवाह नहीं है। जनता की समस्या हल करने के स्थान पर उन्हें भड़काता है। इससे पता चलता है कि वह चालाक, कानून की परवाह न करने वाला व्यक्ति है।

(ग) इंस्पेक्टर चाहता था कि कुत्ते को मार दिया जाए।

 

अथवा
 

(क) लेखक के अनुसार मनुष्य ने धरती को अपना मान लिया है। वह भूल जाता है कि इस धरती में उसके अतिरिक्त अन्य और प्राणी भी रहते हैं। उनकी भी इसमें बराबरी की हिस्सेदारी है। वह अपनी मनमानी कर रहा है। इसलिए लेखक ने कहा है कि धरती किसी एक की नहीं है। प्रकृति ने सबको इसमें रहने के लिए समान अधिकार दिए हैं।

 

(ख) धरती की हिस्सेदारी में मनुष्य ने दीवारें खड़ी कर दी हैं। उसे लगता है कि यह धरती उसके अकेले की है। अपना अधिकार मानकर उसने इसे बाँट दिया है।

 

(ग) छोटे और अलग घरों में रहने के कारण लोगों के रहने का जीवन सिमटने लगा है। पहले की अपेक्षा अब उनका परिवार छोटा हो गया है।

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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

मनुष्य जन्म से ही अहंकार का इतना विशाल बोझ लेकर आता है कि उसकी दृष्टि सदैव दूसरों की बुराइयों पर ही टिकती है। आत्मनिरीक्षण को भुलाकर साधारण मानव केवल परछिद्रान्वेषण में ही अपना जीवन बिताना चाहता है। इसके मूल में उसकी ईर्ष्या  की दाहक दुष्प्रवृत्ति कार्यशील रहती है। दूसरे की सहज उन्नति को मनुष्य अपनी ईर्ष्या  के वशीभूत होकर पचा नहीं पाता और उसके गुणों को अनदेखा करके केवल दोषों और दुर्गुणों को ही प्रचारित करने लगता है। इस प्रक्रिया में वह इस तथ्य को भी विस्मृत कर बैठता है कि ईर्ष्या  का दाहक स्वरूप स्वयं उसके समय, स्वास्थ्य और सद्वृत्तियों के लिए कितना विनाशकारी सिद्ध हो रहा है। परनिंदा को हमारे शास्त्रों में भी पाप बताया गया है। वास्तव में मनुष्य अपनी न्यूनताओं, अपने दुर्गुणों की ओर दृष्टि उठाकर देखना भी नहीं चाहता क्योंकि स्वयं को पहचानने की यह प्रक्रिया उसके लिए बहुत कष्टकारी है।
(i) अहंकार के कारण मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

(क) वह अपने को सर्वश्रेष्ठ समझता है
(ख) उसकी बात सभी मानते हैं
(ग) वह दूसरों के दोष देखता रहता है
(घ) वह अपने गुणों का बखान करता है


(ii) दूसरों की उन्नति को मनुष्य क्यों नहीं देखना चाहता?

(क) स्वयं धनवान होने के कारण
(ख) अपने बड़प्पन के कारण
(ग) स्वयं गुणी होने के कारण
(घ) ईर्ष्या भाव के कारण


(iii) स्वास्थ्य और सदाचार नष्ट हो जाते हैं

(क) ईर्ष्या के वश में होने पर
(ख) क्रोध के वश में होने पर
(ग) स्वास्थ्य के नियमों का पालन न करने पर
(घ) अनैतिक कार्य करने पर


(iv) अहंकार दूर करने के लिए जरूरी है

(क) मन को शांत रखना
(ख) आत्मनिरीक्षण करना
(ग) परछिद्रान्वेषण से बचना
(घ) निरंतर चिंतन-मनन करना


(v) गद्यांश में किस प्रकार के शब्दों की अधिकता है?

(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) आगत

 

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निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

देखकर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।

रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।

काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं,

भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।

हो गए इक आन में उनके बुरे दिन भी भले,

सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले।।

चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना,

काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना।

जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना,

है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना।।


(i) पद्यांश में किन व्यक्तियों की ओर संकेत किया गया है?

(क) जो बाधाओं से घबराते नहीं
(ख) जो अपने कर्तव्यों से विमुख हैं
(ग) जो भाग्य के सहारे रहते हैं
(घ) जो परिश्रम नहीं करना चाहते हैं


(ii) दुख आने पर कैसे व्यक्ति घबराते नहीं हैं?

(क) जो भाग्य को वश में कर लेते हैं
(ख) जिन्हें अपने परिश्रम का भरोसा होता है
(ग) जो अपनी वीरता का बखान करते रहते हैं
(घ) जो सदा फूले-फले रहते हैं


(iii) उनके बुरे दिन भले में क्यों बदल जाते हैं?

(क) दूसरों की निंदा करने के कारण
(ख) अपनी तारीफ करते रहने के कारण
(ग) लक्ष्य की ओर दृढ़निश्चय के कारण
(घ) लक्ष्य की ओर ध्यान नहीं देने के कारण


(iv) ‘धूप को चाँदनी बना देने’ का तात्पर्य है

(क) कठिनाइयों में हँसते रहना
(ख) कठिनाइयों को सरल बना देना
(ग) कठिनाइयों का सामना करना
(घ) कठिन परिस्थितियों में काम करना


(v) ‘लोहे के चने चबाना’ का भाव है

(क) दृढ़ संकल्प बने रहना
(ख) कठिनाइयों को झेलना
(ग) कठोर परिश्रम करना
(घ) गंभीर संकट झेलना

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विद्यालय में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी की उपयोगिता के विवरण को दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर प्रकाशित करने का अनुरोध कीजिए। 
 

अथवा


बढ़ती हुई महँगाई के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर छात्रवृत्ति की धनराशि में बढ़ोतरी करने का अनुरोध कीजिए। 

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दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर लगभग 80 − 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए :

(क) महँगाई के बढ़ते कदम

• कारण
• प्रभाव
• दूर करने के उपाय


(ख) मानवता − सबसे श्रेष्ठ धर्म

• मानवता क्या है?
• महापुरुषों का उल्लेख
• लाभ


(ग) बढ़ता आतंकवाद

• कारण और रुप
• विश्व-स्तर पर प्रभाव
• दूर करने के सुझाव

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निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं
केवल इतना हो (करुणामय)
कभी न विपदा मैं पाऊँ भय।
दुःख-ताप से व्यथित चित्त को, न दो सांत्वना नहीं सही
पर इतना होवे (करुणामय)
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरुष न हिले;
हानि उठानी पड़े जगत में लाभ अगर वंचना रही।।
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।।


(i) कवि की प्रार्थना क्या है?

(क) विपदाओं से बचाने की
(ख) विपदा नहीं देने की
(ग) विपदाओं से नहीं डरने की
(घ) विपदाओं से लड़ने की


(ii) दुख से पीड़ित होने पर कवि क्या चाहता है?

(क) दुख दूर करने का उपाय
(ख) दुखों को जीत सकने का वरदान
(ग) सुख मिलते रहने का वरदान
(घ) दुख सहने की शक्ति


(iii) सहायक न मिलने पर कवि क्या चाहता है?

(क) सांत्वना मिलती रहे
(ख) वह अकेला न रहे
(ग) बल पौरुष कम न हो
(घ) दुख को सहता रहे


(iv) ‘करुणामय’ शब्द का अर्थ है

(क) करुणा करने वाला
(ख) करुणा से ओतप्रोत
(ग) करुणा का पुतला
(घ) करुणा का अवतार


(v) कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है?

(क) विपत्तियाँ सहनी चाहिए
(ख) ईश्वर की प्रार्थना करते रहना चाहिए
(ग) मानव को स्वयं पर भरोसा होना चाहिए
(घ) आत्मबल की रक्षा करनी चाहिए

 

अथवा
 

खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
तोड़ तो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न जाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।


(i) काव्यांश की पृष्ठभूमि में कौन-सी ऐतिहासिक घटना है?

(क) भारत-पाक युद्ध
(ख) भारत-चीन युद्ध
(ग) भारत-बांग्लादेश युद्ध
(घ) भारतीय स्वाधीनता संग्राम


(ii) ‘खूँ से ज़मीं पर लकीर’ खींचने का आशय है

(क) सीमाओं पर रक्तपात करना
(ख) दुश्मन पर हमला करना
(ग) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना
(घ) मातृभूमि की रक्षा को तत्पर रहना


(iii) ‘रावण’ का प्रतीकार्थ है

(क) भारत का शत्रु
(ख) आक्रमणकारी
(ग) राम का विरोधी
(घ) देशद्रोही


(iv) ‘सीता का दामन’ से तात्पर्य है

(क) देश का स्वाभिमान
(ख) देवी-देवताओं की मर्यादा
(ग) भारतीय सांस्कृतिक परंपरा
(घ) मातृभूमि का सम्मान


(v) ‘राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियो’ कथन से कवि का संकेत है

(क) तुम्हें युद्ध भी करना है और रक्षा भी
(ख) तुम्हें राम भी बनना है और लक्ष्मण भी
(ग) तुम्हें भारतीयता को भी बनाना है और सीमाओं को भी
(घ) तुम्हें नारी के सम्मान की भी रक्षा करनी है और मर्यादा की भी

 

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निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

हर संध्या को इसकी छाया सागर-सी लंबी होती है,
हर सुबह वही फिर गंगा की चादर-सी लंबी होती है।
इसकी छाया में रंग गहरा
है देश हरा, परदेश हरा,
हर मौसम है संदेश-भरा
इसका पद-तले छूने वाला वेदों की गाथा गाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।
जैसा यह अटल, अडिग-अविचल वैसे ही हैं भारतवासी
है अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी
कोई क्या हमको ललकारे
हम कभी न हिंसा से हारे
दुख देकर हमको क्या मारे
गंगा का जल जो भी पीले, वह दुख में भी मुसकाता है
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।


(i) ‘है देश हरा परदेश हरा’ कथन में ‘हरा’ से तात्पर्य है

(क) हरा रंग
(ख) हरे खेत
(ग) संपन्नता
(घ) खुशहाली


(ii) हिमालय को ‘गिरिराज’ क्यों कहा गया है?

(क) सर्वप्रिय होने के कारण
(ख) परम पवित्र होने के कारण
(ग) सर्वोच्च होने के कारण
(घ) दर्शनीय होने के कारण


(iii) हिमालय के प्रभाव से भारत में कौन-सा गुण दिखाई पड़ता है?

(क) स्थिरता
(ख) अजेयता
(ग) पवित्रता
(घ) सुंदरता


(iv) भारतीय किसी के ललकारने से नहीं डरते, क्योंकि

(क) उन्हें चुनौती स्वीकारने की आदत है
(ख) वे ललकारने से नहीं डरते
(ग) वे वीर और साहसी होते हैं
(घ) उन्हें हिंसा से नहीं हराया जा सकता


(v) गंगाजल ग्रहण करने वाला

(क) सुखों में मग्न रहता है
(ख) दुखों में प्रसन्न रहता है
(ग) हृदय से उदार होता है
(घ) परोपकारी होता है

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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः
मानव जीवन में कुछ महान कर पाने की अदम्य लालसा ही महत्त्वाकांक्षा है। इस लालसा की पूर्ति का मार्ग परस्पर होड़ से जन्म लेता है। किसी अन्य से आगे बढ़ पाने की यह आकांक्षा बिना इस ‘अन्य’ के प्रति कठोर हुए नहीं पूर्ण की जा सकती। मनुष्य में आगे बढ़ने की जो भी स्वाभाविक इच्छा जन्म लेती है उसके साथ अप्रत्यक्ष रूप से अन्य मानवों को पीछे छोड़ने की अदृश्य इच्छा भी जुड़ी ही रहती है। यदि सहृदय होकर इस पर विचार किया जाए तो इस प्रकार की समस्त प्रतिद्वन्द्विता निष्ठुरता है। दूसरे के प्रति निर्ममता है। किन्तु महानता को पाने के लिए यह निर्ममता या निष्ठुरता एक अनिवार्य दुर्गुण है। इसके अभाव में उस निष्ठा, संकल्प या दृढ़ताा की कल्पना नहीं की जा सकती, जो मनुष्य को आगे बढ़कर अनछुई ऊँचाइयों को छूने के लिए प्रेरित करते हैं।

(i) मनुष्य में महत्त्वाकांक्षा क्यों होती है?

(क) स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाने की लालसा से
(ख) दूसरों को पीछे छोड़ देने की ललक से
(ग) एक-दूसरे से आगे बढ़ने की भावना से
(घ) दूसरों से ईर्ष्या करने के कारण


(ii) गद्यांश में आपसी होड़ को माना गया है

(क) कठोरता
(ख) निष्ठा
(ग) निर्ममता
(घ) महत्त्वाकांक्षा


(iii) दुर्गुण होते हुए भी निर्ममता को ज़रूरी माना गया है

(क) शत्रु से टक्कर लेने के लिए
(ख) महान बनने के लिए
(ग) महत्त्वाकांक्षा के लिए
(घ) लालसा की पूर्ति के लिए


(iv) गद्यांश का शीर्षक हो सकता है

(क) निष्ठुरता
(ख) महत्त्वाकांक्षा
(ग) लालसा
(घ) आकांक्षा


(v) ‘ऊँचाइयों को छूने’ के लिए प्रेरक गुण है

(क) दृढ़ संकल्प
(ख) निर्ममता
(ग) महत्त्वाकांक्षा
(घ) कल्पनाशीलता

 

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