Short Answer Type

Advertisement

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

हे ग्राम–देवता नमस्कार।
जन कोलाहल से दूर
कहीं एकाकी सिमटा–सा निवास,
रवि–शशि का उतना नहीं
कि जितना प्राणों का होता प्रकाश,
श्रम–वैभव के बल पर करते हो
जड़ में चेतनता का विकास
दानों–दानों से फूट रहे, सौ–सौ दानों के हरे हास
यह है न पसीने की धारा
यह गंगा की है धवल धार – हे ग्राम–देवता नमस्कार।
तुम जन–मन के अधिनायक हो
तुम हँसो कि फूले–फले देश,
आओ सिंहासन पर बैठो
यह राज्य तुम्हारा है अशेष,
उर्वरा भूमि के नए खेत के
नए धान्य से सजे देश,
तुम भू पर रहकर भूमि भार
धारण करण करते हो मनुज शेष,
महिमा का कोई नहीं पार
हे ग्राम–देवता नमस्कार ।।

(क) ग्राम–देवता को किसका अ​धिक प्रकाश मिलता है और क्यों ?
(ख) 'तुम हँसो' का क्या तात्पर्य है ? गाँवों के हँसने का क्या परिणाम हो सकता है ?
(ग) जड़ में चेतनता का विकास कौन करता है और कैसे ?
(घ) जन–मन का अधिनायक किसे कहा गया है ? उसके प्रसन्न होने का क्या परिणाम होगा ? 


क) ग्राम देवता को प्राणों का प्रकाश अधिक मिलता है क्योंकि यह प्रकाश परिश्रम से संबंधित है। परिश्रम करने के द्वारा ही सूर्य एवं चंद्रमा के प्रकाश धीमे पड़ गए हैं।

(ख) तुम हँसो से यहाँ तात्पर्य किसानों की खुशहाली से है। किसी गाँव के हँसने से कई अच्छे परिणाम हो सकते हैं। इससे किसानों के फसल पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा तथा देश में खाद्यान्न की बढ़ोत्तरी होगी। देश खाद्यान्न के क्षेत्र में अग्रणीय हो सकता है।

(ग) जड़ में चेतना का विकास परिश्रम के बल पर किया जाता है। किसान जड़ में चेतना का विकास करते हैं। एक बीज से अंकुर फूटना इसका सशक्त उदाहरण है।


(घ) इस कविता में कवि ने जन-मन का अधिनायक किसान को कहा गया है। किसान की प्रसन्नता हम सबके लिए अनिवार्य है क्योंकि इनके कारण ही दूसरों लोगों के घरों में अनाज जाता है। यदि  वे लोग प्रसन्न नहीं होंगे, देश खेती की पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा।

318 Views

Advertisement

''हमें सत्य में जीना चाहिए, सत्य केवल वर्तमान है।'' 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' के इस कथन को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? 

288 Views

निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –
(क) मैं ठीक समय पर पहुँच गया परंतु सुरेश नहीं आया। (रचना के आधार पर वाक्य–भेद लिखिए)
(ख) गरजते बादलों में ​बिजली कौंध रही है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ग) जो परिश्रम करता है उसकी पराजय नहीं होती। (सरल वाक्य में बदलिए) 

327 Views

निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि अर्थ स्पष्ट हो जाए –
आँखों में धूल झोंकना, हक्का–बक्का रह जाना। 

388 Views

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ?
(क) मैथिलीशरण गुप्त ने गर्वरहित जीवन बिताने के लिए क्या तर्क दिए हैं?
(ख) बिहारी ने माला जपने और तिलक लगाने को व्यर्थ कहकर क्या संदेश देना चाहा है?
(ग) 'कर चले हम फिदा' कविता में धरती को दुलहन क्यों कहा गया है? 

359 Views

Advertisement

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोक–रंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहराया गया है। धर्म–शासन, राज–शासन, मत–शासन – सबमें इनसे पूरा काम लिया गया है। इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक–कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी। सब प्रकार के शासन में – चाहे धर्म–शासन हो, चाहे राज–शासन, मनुष्य–जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है। दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज–शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म–शासन और मत–शासन चलते आ रहे हैं। इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी प्राय: हुआ है और होता रहता है। जिस प्रकार शासक–वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं उसी प्रकार धर्म–प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी। शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शान्ति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं। मत–प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति–पूजा करते देख दूसरी जाति के मत–प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय को भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।

(क) लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा किस पर आधारित है ? तथा इसका उपयोग कहाँ किया गया है ?
(ख) दंड का भय और अनुग्रह का लोभ किसने और क्यों दिखाया है ?
(ग) धर्म–प्रवर्तकों ने स्वर्ग–नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है ?
(घ) शासन व्यवस्था किन कारणों से भय और लालच का सहारा लेती है ?
(ङ) संप्रदायों–जातियों की भिन्नता किन रूपों में दिखाई देती है ?
(च) प्रतिष्ठा और लोभ शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए। 

122 Views

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ?
(क) 'अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले' पाठ में समुद्र के गुस्से का क्या कारण था? उसने अपना गुस्सा कैसे शांत किया?
(ख) 'कारतूस' पाठ के आधार पर लिखिए कि सआदत अली कौन था? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा?
(ग) 'गिरगिट' पाठ के आधार पर लिखिए कि इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ख्यू​क्रिन पर क्यों झुँझला रहा था? 

733 Views

निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए –
(क) गाय को मिलाकर सानी खिलाओ।
(ख) हमारे माताजी का आ व्रत है।
(ग) कृपया स्वीकृति देने की कृपा करें।
(घ) लड़का लोग घर चला गया। 

393 Views

(क) निम्नलिखित का विग्रह करके समास का नाम लिखिए –
      माता–पिता, महापुरुष।

(ख) निम्नलिखित का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए –
      बाढ़ से ​पीड़ित, नीला है जो गगन 

846 Views

Advertisement

Q3शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण देकर शब्द और पद को समझाए।  

200 Views