नीचे दिए गए आरेख का अध्ययन कीजिए जिसमें किसी छात्र ने आपतन कोण (∠i), अपवर्तन कोण (∠r), निर्गत कोण (∠e), प्रिज्म कोण (∠A) तथा विचलन कोण (∠D) अंकित किए हैं। इसमें सही अंकित कोण है :
∠A व ∠i
∠A, ∠i व ∠r
∠A, ∠i, ∠e व ∠D
∠A, ∠i, ∠e व ∠D
किसी छात्र को 'किसी द्विबीजपत्री बीज के भ्रूण के विभिन्न भागों की पहचान करना' प्रयोग को करना है। बीजों के नीचे दिए गए समूहों में से उपयुक्त समूह चुनिए:
मटर, चना, गेहूँ
राजमा, मक्का, चना
मक्का, गेहूँ, राजमा
मक्का, गेहूँ, राजमा
कोई छात्र 25 mL धारिता की चार परखनलियाँ P, Q, R, और S लेकर प्रत्येक परखनली में 10 mL आसुत जल भरता है। वह इन परखनलियों में चार भिन्न लवणों का एक-एक चम्मच इस प्रकार मिलता है – P में KCl; Q में NaCl; R में CaCl2 तथा S में Mgcl2। तत्पश्चात वह प्रत्येक परखनली में साबुन के विलियन के नमूने का लगभग 2 mL डालता है। प्रत्येक परखनली के पदार्थों को भली-भांति हिलने पर उसे जिन परखनलियों में भरपूर झाग मिलने की संभावना है, वे परखनलियाँ है :-
P और Q
R और S
P, Q और R
P, Q और R
निम्नलिखित में से कौन समजात अंगों का सम्मुचय है :
मेंढ़क, पक्षी और छिपकली के अग्रपाद
कैक्टस के कंटक और बोगनबिलिया के कंटक
चमगादड़ के पंख और तितली के पंख
चमगादड़ के पंख और तितली के पंख
नीचे गए पदार्थों के किस सम्मुच्य का उपयोग साबुन बनाने के लिए सबुनीकरण- अभिक्रिया को करने के लिए किया जाता है।
Ca(OH)2 और नीम का तेल
NaOH और नीम का तेल
NaOH और खनिज तेल
NaOH और खनिज तेल
दर्पण को पर्दे से दूर
पर्दे को दर्पण से दूर
पर्दे को दर्पण की ओर
पर्दे को दर्पण की ओर
किसी आयताकार कॉंच के स्लैब से गुजरने वाली प्रकाश किरण का पथ आरेखित करने के लिए, नीचे दी गयी कौन सी प्रायोगिक व्यवस्था सर्वोत्तम है?
P
Q
R
R
साबुनीकरण अभिक्रिया के विषय में नीचे दी गई टिप्पणीयों पर विचार कीजिए :
I इस अभिक्रिया में ऊष्मा उत्पन्न होती है।
II साबुन के शीघ्र अवक्षेपण के लिए अभिक्रिया मिश्रण में सोडियम क्लोराइड मिलाया जाता है।
III साबुनीकरण अभिक्रिया एक विशेष प्रकार की उदासीनीकरण अभिक्रिया है।
IV साबुन लम्बी श्रंखला के वसीय अम्लों का क्षारीय लवण है।
इनमें सही टिप्पड़ियॉं हैं :
I, II व III
II, III व IV
I, II व IV
I, II व IV
दिए गए उत्तल लेंस की सन्निकट फोकस दूरी, किसी दूरस्थ बिम्ब (जैसे, कोई साइन बोर्ड) को फोकसित करके, ज्ञात करने के लिए आप इस बिम्ब का प्रतिबिम्ब पर्दे पर प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। पर्दे पर बना प्रतिबिम्ब सदैव ही होता है:
सीधा और पार्श्व परिवर्तित
सीधा और छोटा
उल्टा और छोटा
उल्टा और छोटा