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कवि ने प्रातःकालीन आसमान की तुलना किससे की है?


कवि ने प्रात:कालीन आसमान की तुलना नीले शंख से की है। वह शंख के समान पवित्र और उज्ज्वल है।

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निम्नलिखित काव्याशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर कीजिए-
प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और जादू टूटता है, इस ऊषा का अब
सूर्योदय हो रहा है
1. काव्याशं में प्रयुक्त उपमानों का उल्लेख कीजिए।
2. पद्यांश की भाषागत दो विशेषताओं की चर्चा कीजिए।
3. भाव-सौदंर्य स्पष्ट कीजिए:
    नील जल में या किसी की 
    गौर झिलमिल देह
    जैसे हिल रही हो।

 


कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है?


कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है और क्यों?


स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने -स्पष्ट करो।


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