आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ ऐसा क्यों कहता है?
कवि को ऐसा लगता है कि अभी उसके जीवन में कोई बड़ी-बडी उपलब्धियाँ नहीं हैं जिन्हें दूसरों के सामने प्रकट किया जा सके। वह अपने अभावग्रस्त जीवन के कष्टों को अपने हृदय में छिपाकर रखना चाहता है। इसीलिए वह कहता है- ‘अभी समय भी नहीं।’
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स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
भाव स्पष्ट कीजिये: (क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देख कर जाग गया। आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
(ख) जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
‘उज्जल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ - कथन के माध्यम से कवि क्या कहना कहता है?