स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
‘पाथेय’ का शाब्दिक अर्थ है- संबल, सहारा। कवि के हृदय में किसी अति रूपवान के लिए गहरा प्रेमभाव था। उसके प्रति मधुर यादें थीं और वे यादें ही उसके जीवन की आधार बनी हुई थीं जिन्हें वह न तो औरों के सामने प्रकट करना चाहता था और न ही ‘स्मृति रूपी सहारे’ को अपने से दूर करना चाहता था। कवि के मन में छिपी मधुर स्मृतियां उसके सुखों का आधार थीं।
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