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फादर बुल्के भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?


फ़ादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग इसलिए कहा गया है क्योंकि वे बेल्जियम के रेश्व चैपल से भारत आकर यहाँ की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए थे। उन्होंने संन्यासी बन कर भारत में रहने का फैसला किया।
मसीही धर्म से संबंध रखते हुए भी उन्होंने हिंदी में शोध किया। शोध का विषय था -रामकथा: उत्पत्ति और विकास। इससे उनके भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव का पता चलता है। इस आधार पर कह सकते हैं कि फादर बुल्के भारतीय संकृति का अभिन्न अंग हैं।

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फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा?

पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?

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