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गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?


गोपियों ने उद्धव को अनेक उदाहरणों के माध्यम से उलाहने दिए थे। उन्होंने उसे ‘बड़भागी’ कह कर प्रेम से रहित माना था जो श्रीकृष्ण के निकट रहकर भी प्रेम का अर्थ नहीं समझ पाया था। उद्धव के द्वारा दिए जाने वाले योग के संदेशों के कारण वे वियोग में जलने लगी थीं। विरह के सागर में डूबती गोपियो को पहले तो आशा थी कि वे कभी-न-कभी तो श्रीकृष्ण से मिल ही जाएंगी पर उद्धव के द्वारा दिए जाने वाले योग साधना के संदेश के बाद तो प्राण त्यागना ही शेष रह गया था। उद्धव का योग तो कड़वी ककड़ी के समान व्यर्थ था। वह तो योग रूपी बीमारी उन्हें देने वाला था। गोपियों ने उद्धव को वह गुरु माना था जिसने श्रीकृष्ण को भी राजनीति की शिक्षा दे दी थी। गोपियों ने वास्तव में जिन उदाहरणों के माध्यम से वाक्‌चातुरी का परिचय दिया है और उद्धव धव को उलाहने दिए हैं। वह उनके प्रेम का आंदोलन है। उनसे गोपियों के पक्ष की श्रेष्ठता और उद्धव के निर्गुण की हीनता का प्ररतिपादन हुआ है।

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गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?


उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेशों ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

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