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लता की लोकप्रियता का मुख्य मर्म क्या है?


लता की लोकप्रियता का मुख्य मर्म उसका 'गानपन' ही है। लता के गाने की एक और विशेषता है, उसके स्वरों की निर्मलता। उसके पहले की पार्श्व गायिका नूरजहाँ भी एक अच्छी गायिका थी, इसमें संदेह नहीं तथापि उसके गाने में एक मादक उत्तान दीखता था। लता के स्वरों में कोमलता और मुग्धता है। ऐसा दीखता है कि लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है वही उसके गायन की निर्मलता में झलक रहा है। हाँ, संगीत दिग्दर्शकों ने उसके स्वर की इस निर्मलता का जितना उपयोग कर लेना चाहिए था, उतना नहीं किया।

लता के गाने की एक और विशेषता है, उसका नादमय उच्चार। उसके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों की आस द्वारा बड़ी सुंदर रीति से भरा रहता है और ऐसा प्रतीत होता है कि वे दोनों शब्द विलीन होते-होते एक दूसरे में मिल जाते हैं। यह बात पैदा करना बड़ा कठिन है, परन्तु लता के साथ यह बात अत्यंत सहज और स्वाभाविक हो बैठी है।

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शास्त्रीय संगीत में लता का कौन-सा स्थान है?


लेखक के मत में लता के गायन से चित्रपट संगीत पर क्या प्रभाव पड़ा है, साथ ही लोगों के दृष्टिकोण में भी क्या अंतर आया है?


लेखक के विचार में शास्त्रीय गायक किस प्रवृत्ति के हैं?


दोनों प्रकार के संगीत के बारे में लेखक के विचारों को अभिव्यक्त कीजिए।


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