आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूँगी?
हमारे विचार में चंपा ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि मैं नहीं पढूँगी
-वह पढ़ने-लिखने को कोई बहुत अच्छा काम नहीं मानती।
-यह पढ़ने-लिखने वाले लोग शोषक व्यवस्था का अंग बन जाते हैं।
-वह अभी पढ़ाई-लिखाई का महत्त्व नहीं समझती।
चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?
यदि चंपा पड़ी-लिखी होती, तो कवि से कैसे बातें करती?
चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?
कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?