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इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है-से क्या आशय है?


इस अविश्वास भरे दौर में बचाने को बहुत कुछ बचा है-इससे कवयित्री का आशय यह है कि यदि संथाली समाज अपनी बुराइयों को दूर कर ले तो उसका मूल स्वरूप बहाल हो सकता है। अभी उनका परिवेश, उनकी भाषा, संस्कृति में अधिक बिगाड़ नहीं आया है। शहरी सम्यता का प्रभाव भी अभी सीमित मात्रा में है। अत: यहाँ के मूल चरित्र को बचाए रखना पूरी तरह से संभव है। इसे बचाना ही होगा।

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प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है?


‘माटी का रंग’ प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है?

दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?


भाषा में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है?


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