Advertisement

घर कि घर में चार भाई
मायके मे ‘बहिन आई,
बहिन आई बाप के घर
हाय रे परिताप के घर!
घर कि घर में सब जुड़े हैं
सब कि इतने कब जुड़े हैं
चार भाई चार बहिने
भुजा भाई प्यार बहिने


प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं भवानीप्रसाद मिश्र की लंबी कविता ‘घर की याद, से अवतरित है। कवि वर्षा के दिन जेल में बैठा हुआ घर के वातावरण का भावुकतापूर्ण वर्णन करता है।

व्याख्या-कवि बताता है कि उसके घर में चार भाई हैं। सावन के महीने में वर्षा ऋतु बहन अपने मायके अर्थात् पिता के घर आई हुई होगी। बहन का पिता के घर आना और उसका यहाँ जेल में होना निश्चय ही दुख का कारण बन रहा होगा।

घर के सभी सदस्य एक-दूसरे से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। सभी में आपस में बहुत प्यार है । घर में चार भाई और चार बहनें हैं। चारों भाई चार भुजाओं के समान हैं और बहनें प्रेम-स्नेह की प्रतीक हैं ।

विशेष: 1. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।

2. भाइयों को भुजा और बहनों को प्यार का प्रतीक दर्शाया गया है।

1941 Views

Advertisement

भवानी प्रसाद मिश्र के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।


और माँ बिन - पड़ी मेरी
दु:ख में वह गढ़ी मेरी
माँ कि जिसकी गोद में सिर
रख लिया तो दुख नहीं फिर
माँ कि जिसकी स्नेह- धारा
का यहाँ तक भी पसारा
उसे लिखना नहीं आता
जो कि उसका पत्र पाता।


पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा
जो अभी भी दौड़ जाएँ,
जो अभी भी खिलखिलाएँ
मौत के आगे न हिचकें,
शेर के आगे न बिचकें,
बोल में बादल गरजता
काम में झंझा लरजता
आज गीता-पाठ करके
दंड दो सौ साठ करके,
खूब मुगदर हिला लेकर
मूठ उनकी मिला लेकर


आज पानी गिर रहा है,
बहत पानी गिर रहा है,
रात भर गिरता रहा है,
प्राण मन घिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है
घर नजर में तिर रहा है
घर कि मुझसे दूर है जो
घर खुशी का पुर है जो


First 1 2 3 Last
Advertisement