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‘पद घुँघरू बांधि मीरां नाची’ पद का सार अपने शब्दों में लिखिए।


इस पद में मीरा अपने पैरों में घुँघरू बाँधकर अपने प्रिय कृष्ण के सम्मुख नाचती है। वह अपने नारायण की हो गई है। लोग भले ही उसे पागल कहें या उसे कुल का नाश करने वाली कहें, वह इन बातों की परवाह नहीं करती है। मीरा के देवर राणा ने उसे मारने के लिए जहर का प्याला भेजा, तो मीरा उसे पीकर हँसने लगी। वह उसके लिए अमृत के समान ही गया। उस विष के प्याले को पीकर वह अमर हो गई है। मीरा को उसके प्रभु मिल गए हैं। उन्हें सहजता से प्राप्त किया जा सकता है।

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‘मेरे तो गिरधर गोपाल’ पद का सार अपने शब्दों में लिखिए।


मीराबाई के जीवन का परिचय देत हुए उनका साहित्यिक परिचय दीजिए।


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