सूर्योदय वर्णन के लिए किस तरह के बिंबों का प्रयोग हुआ है?
सूर्योदय के वर्णन के लिए कवि ने कई दृश्य-बिंबों का प्रयोग किया है-
-वह सूर्योदय के एक बिंब में इसे कमला के कंचन-मंदिर का कांत कँगूरा बताता है।
-दूसरे बिंब में वह इसे लक्ष्मी की सवारी के लिए समुद्र द्वारा बनाई स्वर्ण-सड़क बताता है।
-एक अन्य बिंब में सूर्य के सम्मुख वारिद-माला थिरकती दर्शायी गई है।
आशय स्पष्ट करें-
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गंगा के मधुर गीत गाता है।
आशय स्पष्ट करें-
कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल है यह प्रेम-कहानी।
जी में है अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।
पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?
कविता में कई- स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। एसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखो।