‘तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो’ -जेठू का यह कथन रचना-संचार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
जेठू का यह कथन रचना-संसार के इस सत्य को उद्घाटित करता है कि किसी का प्रोत्साहन किसी के अंदर छिपे रचनात्मक गुण को उभारकर सामने ला सकता है। बेबी के लिए जेठू द्वारा कहा गया यह कथन उसके लिए सत्य सिद्ध होकर रहा। वह आगे चलकर वास्तव में दूसरी आशापूर्णा देवी ही बन गई।
पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है? क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस पर विचार कीजिए।
‘आलो-आँधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है।’ किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।