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लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं-इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?


सामान्यत: ऐसा माना जाता है कि लता के गाने में करुण रस विशेष प्रभावशाली रीति से व्यक्त होता है, पर लेखक को यह बात जँचती नहीं। लेखक का मानना है कि लता ने करुण रस के साथ उतना न्याय नहीं किया है जितना मुग्ध शृंगार के साथ किया है। श्रृंगारपरक गाने वे बहुत उत्कटता से गाती हैं।

हम लेखक के इस कथन से केवल आशिक रूप से ही सहमत हैं। लता ने श्रृंगारपरक गाने उत्कटता के साथ अवश्य गाए हैं, पर करुण रस के साथ भी न्याय किया है। हाँ, उनकी संख्या अवश्य कम हो सकती है। उदाहरण के रूप में हम लता के द्वारा चीनी आक्रमण की पृष्ठभूमि में गाया गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी’ को ले सकते हैं। इस गीत में उन्होंने इतनी करुणा उँडेली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की आँखें भी सजल हो उठी थीं। लता ने सभी प्रकार के गाने पूरी तन्मयता के साथ गाए हैं।

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लेखक ने लता की गायकी की किन विशेषताओं को उजागर किया है? आपको लता की गायकी में कौन-सी विशेषताएँ नजर आती हैं? उदाहरण सहित बताइए।


लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएँ कि आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?


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