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कुंई की गहराई में चल रहे काम के कारण उत्पन्न गरमी को कम करने के लिए क्या उपाय किया जाता है?


कुंई की गहराई में चल रहे मेहनती काम पर वहाँ की गरमी का असर पड़ता है। गरमी कम करने के लिए ऊपर जमीन पर खड़े लोग बीच-बीच में खी भर रेत बहुत जोर के साथ नीचे फेंकते हैं। इससे ऊपर की ताजी हवा नीचे जाती है और गहराई में जमा दमघोंटू गरम हवा ऊपर लौटती है। इतने ऊपर से फेंकी जा रही रेत के कण नीचे काम कर रहे चेलवांजी के सिर पर लग सकते हैं इसलिए वे अपने सिर पर कांसे, पीतल या अन्य किसी धातु का एक बर्तन टोप की तरह पहने रहते हैं। नीचे थोड़ी खुदाई हो जाने के बाद चेलवांजी के पंजों के आसपास मलबा जमा हो जाता है। ऊपर रस्सी से एक छोटा-सा डोल या बाल्टी उतारी जाती है। मिट्टी उसमें भर दी जाती है। पूरी सावधानी के साथ ऊपर खींचते समय भी बाल्टी में से कुछ रेत, कंकड़-पत्थर नीचे गिर सकते हैं। टोप इनसे भी चेलवांजी का सिर बचाता है।

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इस पाठ में रेत के कणों के बारे में क्या बताया गया है? विस्तारपूर्वक लिखिए।


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