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‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।


‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’ पंक्ति का आशय यह है कि जब व्यक्ति को इंद्रियों की दासता से मुक्ति का अवसर मिले, उसे इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए।

कवयित्री भगवान शिव का संदेश लेकर आती है और लोगों को यह अवसर प्रदान करती है कि वे इंद्रियों की दासता से मुक्ति प्राप्त कर लें। अवसर पर चूक जाने वाला व्यक्ति जीवन- भर पछताता है।

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‘अपना घर’ से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?


लक्ष्य-प्राप्ति में इंद्रीयाँ बाधक होती हैं-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।


ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।


दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?


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