मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय क्यों कहा है?
मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय इसलिए कहा है, क्योंकि इसके बाद उसका जीवन’ एक बँधी-बँधाई लीक पर चलने लगा। उसकी कुशाग्र बुद्धि जैसे कुंठित हो गई। उसे एक साधारण से स्कूल में भर्ती करा दिया गया था। उसे सारे दिन मेहनत के काम करने पड़ते थे। जिस बालक के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना की जा रही थी, वही घरेलू कामकाज में उलझकर रह गया। उसे अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कारखानों और फैक्ट्ररियों के चक्कर लगाने पड़े। उसे कोई काम नहीं मिल
घनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था?
मास्टर त्रिलोकसिंह के किस कथन को लेखक ने ज़बान के चाबुक कहा है और क्यों?
कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है।
क. किसने किससे कहा?
ख. किस प्रसंग में कहा?
ग. किस आशय से कहा?
घ. क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है?