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बिरादरी का यही सहारा होता है।

क. किसने किससे कहा?

ख. किस प्रसंग में कहा?

ग. किस आशय से कहा?

घ. क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है?


(क) यह मोहन के पिता वंशीधर ने युवक रमेश से कहा।

(ख) यह उस प्रसंग में कहा गया जब रमेश ने मोहन को अपने साथ लखनऊ ले जाकर पढ़ाई कराने के लिए स्वयं को प्रस्तुत किया।

(ग) यह कथन रमेश के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए कहा गया।

(घ) नहीं, कहानी में यह आशय स्पष्ट नहीं हुआ है। रमेश ने मोहन को सहारा देने के स्थान पर एक घरेलू नौकर बना दिया।

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घनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था?


मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय क्यों कहा है?


मास्टर त्रिलोकसिंह के किस कथन को लेखक ने ज़बान के चाबुक कहा है और क्यों?


कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है।


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