लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से उनके बेटे-बेटियों के बारे में पूछना चाहती थी, पर मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे के हाव- भाव देखकर उसे यह सब पूछने की हिम्मत नहीं हुई । वे कुछ उखड़े से दिखाई दे रहे थे ।
इसे पूछने से पहले का प्रसंग भट्टी सुलगाने का है । मियाँ नसीरुद्दीन बब्बन मियाँ से भट्टी सुलगाने को कहते हैं । लेखिका के पूछने पर बताते हैं कि ये बब्बन मियाँ अपने करीगर हैं । बाद के प्रसंग में मियाँ नसीरुद्दीन अपने कारीगरों को दी जाने वाली मजदूरी के बारे में बताते हैंदो रुपए मन आटे की और चार रुपए मन मैदा की मजदूरी दी जाती है ।
लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?
मियां नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?
बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?
पाठ में मियां नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखक ने कैसे खींचा है?