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गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता-इस संवाद के संदर्भ में आप सबसे ज्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं?


इस संवाद के संदर्भ में हम गलती को बर्दाश्त करने वाले को ज्यादा गुनहगार मानते हैं, क्योंकि गलती का विरोध करने पर ही गुनहगार को अपनी गलती का अहसास होता है। कई बार गलती करने वाला अपने गुनाह की भयंकरता को समझ भी नहीं पाता, अत: विरोध करना आवश्यक है। हमें अन्याय को बिकुल बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।

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रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि -

  • वह अमित से बहुत स्नेह करती थी।

  • अमित उसकी मित्र लीला का बेटा था।

  • वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामर्थ्य रखती थी।

  • वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामर्थ्य रखती थी।


जब किसी का बच्चा कमजोर होता है, तभी उसके मां-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ...यह कोई मजबूरी तो है नहीं-प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है तर्क दीजिए।

‘रजनी’ धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है? क्या होता अगर-
(क) अमित का पर्चा सचमुच खराब होता।

(ख) संपादक रजनी का साथ न देता।


तो एक और आदोलन का मसला मिल गया - फुसफुसाकर कही गई यह बात-

(क) किसने किस प्रसंग में कही?

(ख) इससे कहने वाले की किस मानसिकता का पता चलता है।


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