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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कैसी बात करती हो? मैं एक बार काट भी हूँ लेकिन अमित! अपने मुँह में डालने से पहले रसमलाई लेकर तुम्हारे फ्लैट में दौड़ता है। मैं कोई भी चीज घर में बनाऊँ या बाहर से लाऊँ, अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लेता, हम लोग खा थोड़े ही सकते हैं। रजनी आँटी तो हीरो हैं उसकी। 
1. यह संवाद कौन, किसको कह रहा है?
2. संवाद का पूर्व प्रसगं बताइए।
3. अमित आंटी को क्या समझता है?>


1. यह संवाद अमित की माँ लीला का है। यह बात वह पड़ोसन रजनी से कह रही है।
2. इस संवाद का प्रसंग यह है कि अमित अपना रिजल्ट लेने स्कूल गया है। उसके पास होने की खुशी में रसमलाई मँगाई गई है। अभी अमित परीक्षाफल लेकर आया नहीं है। उसके आने पर ही पास होने पर मिठाई खिलाई जाएगी। यहाँ वही चर्चा चल रही है।
3. अमित आंटी को हीरो समझता है। वह मिठाई लेकर पहले टी रजनी के फ्लैट की ओर भागता है, फिर घर के लोग खा सकते हैं। अमित टी को खिलाए बिना स्वयं भी नहीं खाता।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
आप भी महसूस करते है न ऐसा ?... तो फिर साथ दीजिए हमारा। अखबार यदि किसी इश्यू को उठा ले और लगातार उस पर चोट करता रहे तो फिर वह थोड़े से लोगों की बात नहीं रह जाती। सबकी बन जाती है... आँख मूंदकर नहीं रह सकता फिर कोई उससे। आप सोचिए जरा, अगर इसके खिलाफ कोई नियम बनता है तो कितने पेरेंट्स को राहत मिलेगी...कितने बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा, उन्हें अपनी मेहनत का फल मिलेगा, माँ-बाप के पैसे का नहीं शिक्षा के नाम पर बचपन से ही उनके दिमाग में यह तो नहीं भरेगा कि पैसा ही सब कुछ है...वे...वे...
1. यह बात कौन, किससे, कब कह रहा है?
2. कोई बात कब सबकी बन जाती हैँ?
3. वक्ता के प्रयासों का लाभ किसे मिलेगा?


ट्यूशन की शिकायत को निदेशक ने किस रूप में लिया और क्या कहकर टाल दिया?


रजनी ने संपादक से क्या काम करने का आग्रह किया?


निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
देखो, तुम मुझे फिर गुस्सा दिला रहे हो रवि.....गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता, जैसे लीला बेन और कांति भाई और हजारों-हजारों माँ-बाप। लेकिन सबसे बड़ा गुनहगार तो वह है जो चारों तरफ अन्याय, अत्याचार और तरह-तरह की धांधलियों को देखकर भी चुप बैठा रहता है, जैसे तुम। हमें क्या करना है, हमने कोई ठेका ले रखा तै दुनिया का। माई फुट, तुम जैसे लोगों के कारण ही तो इस देश में कुछ नहीं होता, हो भी नहीं सकता।
1. यह कथन किसका है और किसे कहा जा रहा है? प्रसगं बताइए।
2. वक्ता क्या बात समझाने का प्रयास कर रही है?.
3. वक्ता श्रोता पर क्या व्यंग्य करती है?


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