भादों मास में क्या होता है तथा उसके जाते ही मौसम में क्या परिवर्तन आ गया?
भादों मास में वर्षा की तेज बौछारें पड़ती हैं। भादों मास के जाते ही अर्थात् समाप्त होते ही अंधकार समाप्त हो जाता है और खरगोश की आँखों के समान लालिमा युक्त चमकदार सवेरा हो जाता है। प्रात:कालीन सूर्य लालिमा लिए हुए होता है। सर्वत्र एक नया उजाला फैल जाता है।
प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?
जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपासपृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अकसर
छतों के खतरनाक किनारों तक-
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे
अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास।
शरद ने बच्चों के लिए क्या कर दिया है?
शरद का मानवीकरण किस रूप में किया गया है?
प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारो से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके
दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज उड़ सके
दुनिया का सबसे पतला कागज उड़ सके-
बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके-
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाजुक दुनिया