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टिप्पणी कीजिए; गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल।


गरबीली गरीबी: गरीबी में प्राय: मनुष्य हताश निराश और दुखी होकर अपना धैर्य खो बैठता है। तब उसका जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण हो जाता है। यहाँ कवि ने गरीबी को गरबीली बताकर उसे आत्म सम्मान का रूप दे दिया है।

- भीतर की सरिता: इस कथन का तात्पर्य यह है कि हृदय के भीतर प्रेम भाव की नदी (झरना) बहती है। यहाँ भावनाओं के प्रवाह को ही सरिता कहा है। कवि के हृदय में भावनाओं का अंत-प्रवाह बह रहा है। इसमें पवित्र जल है।

- बहलाती सहलाती आत्मीयता: इसका आशय यह है कि प्रेयसी का प्रेमपूर्ण व्यवहार उसे हर समय बहलाता-सहलाता रहता है। उसका व्यवहार अत्यंत आत्मीयतापूर्ण है। उसका निश्छल प्रेम कवि के दु:ख को कम करने का काम तो करता है पर वह उसे सहन नहीं कर पाता। अति बुरी होती है।

- ममता के बादल: प्रिया कवि के ऊपर ममता भरे बादल बरसाती है। यह उसे अंदर तक पिरा जाती है क्योंकि कवि की आत्मा कमजोर हो गई है। ममता उससे सहन नहीं होती।

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इस कविता में और भी टिप्पणी-योग्य पद-प्रयोग हैं। ऐसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें।


व्याख्या कीजिए-

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है।

जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है।

दिल मैं क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार-अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई?


तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवि अंधकार-अमावस्या

शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं

झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित

रहने का रमणीय उजेला अब

सहा नहीं जाता है


यहाँ अधंकार-अमावस्या के लिए क्या विशेषण इस्तेमाल किया गया है और उससे विशेष्य में क्या अर्थ जुड़ता है?

कवि ने व्यक्तिगत सदंर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा?

इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली कौन-सी स्थिति कविता में व्यक्त हुई है ?

इस वैपरीत्य को व्यक्त करने वाले शब्द का व्याख्यापूर्वक उल्लेख करें।


बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है-और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं? चर्चा कीजिए।

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