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आप अपने तथा समाज में किन्हीं दो ऐसे प्रसंगों का उल्लेख करें-

(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक कै रूप में प्रतीत हुआ।

(ख) पैसे की शक्ति काम नहीं आई।


‘पैसा पावर है’- यह कथन काफी हद तक ठीक है। पैसे में काफी शक्ति है। यह आपकी इच्छाओं की मूर्ति का साधन है। पैसे में काफी बल होता है।

(क) पैसा की शक्ति का जादू सबके सिर पर चढ़कर बोलता है। नोएडा सं एक धनी व्यक्ति का बालक अगवा कर लिया गया था। उसके पैसे की ताकत के बल पर उस तीन-चार दिन में ही बरामद कर लिया गया। इसमें राज्य सरकार ने भी पूरी ताकत झोंक दी तथा पैसे ने भी (फिरौती देकर) कमाल कर दिखाया। पैसे के अभाव मे वही सेक्टर-31 में निठारी गाँव के बालक दो साल तक गायब होते रहे और उन्हें मारकर नाले में फेंका जाता रहा, पर किसी के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी।

(ख) एक उदाहरण ‘जेसिका लाल हत्याकांड’ का हमारे सामने हैँ जहाँ पैसे की शक्ति काम नहीं आई। इसमें हरियाणा के एक मंत्री का बेटा दोषी ठहराया गया। उसने पैसे को खूब लुटाया पर उसका कोई असर दिखाई नहीं दिया। न्यायपालिका किसी दबाव में नहीं-गाई।

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बाजा़र में भगतजी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?


'बाजा़रूपन' से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजा़र को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाजा़र की सार्थकता किसमें है?


बाजा़र किसी का लिंग, जाति-मजहब या क्षेत्र नहीं देखता, वह देखता है सिर्फ़ उसकी क्रय शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। क्या आप इससे सहमत हैं?


बाजा़र का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है?


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