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बाजा़र पर आधारित लेख नकली सामान पर नकेल ज़रूरी का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा करें:
1. नकली सामान के खिलाफ़ जागरूकता के लिए आप क्या कर सकते हैं?
2. उपभोक्ताओं के हित को मद्देनजर रखते हुए सामान बनाने वाली कपंनियों का क्या नैतिक दायित्व है?
3. ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे छिपी मानसिकता को उजागर कीजिए।


1. उत्पाद कंपनियाँ अपने नैतिक दायित्वों का निर्वाह इसलिए नहीं कर रही हैं क्योंकि उन पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। ये कंपनियाँ गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे रहीं बल्कि अधिक माल बेचने की होड़ में नकली और घटिया सामान का उत्पादन कर रही हैं। इन उत्पाद कंपनियों का पूरा ध्यान विज्ञापन पर बेतहाशा पैसा खर्च करने पर रहता था ताकि उनका अधिक-से-अधिक माल बिक सके।
2. उपभोक्ताओं को हित के मद्देनजर रखते हुए सामान बनाने वाली कंपनियों का यह नैतिक दायित्व है कि वे बाजार में केवल असली माल उतारें। पुराने पड़े माल (Expired) को बाजार में न बेचे। अपने उत्पाद पर निर्माण की तिथि तथा प्रयोग किए जाने की अवधि का उल्लेख अवश्य करें। वे उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने पर भी कुछ धन खर्च करें। विज्ञापन पर बेतहाशा खर्च को कम कर उत्पाद का मूल्य घटाएँ।
3. ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे यह मानसिकता छिपी रहती है कि यह वस्तु गुणवत्ता की दृष्टि से अच्छी होगी। ग्राहक को यह बात भी भली प्रकार ज्ञात होती है कि ब्रांडेड वस्तु महँगी होती है, पर वह अपनी जेब को देखकर ही ब्रांडेड वस्तु खरीदता है।


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बाजा़र किसी का लिंग, जाति-मजहब या क्षेत्र नहीं देखता, वह देखता है सिर्फ़ उसकी क्रय शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। क्या आप इससे सहमत हैं?


बाजा़र में भगतजी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?


'बाजा़रूपन' से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजा़र को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाजा़र की सार्थकता किसमें है?


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