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लेखक के मत से ‘दासता’ की व्यापक परिभाषा क्या है?


लेखक के मतानुसार ‘दासता’ की व्यापक परिभाषा यह है जिसमें किसी को इस प्रकार की स्वतंत्रता न देना कि वह अपना व्यवसाय चुन सके। इसका सीधा अर्थ उसे ‘दासता’ मे जकड़कर रखना होगा। ‘दासता’ केवल कानूनी पराधीनता को ही नही कहा जाता, बल्कि दासता में वह स्थिति भी शामिल है जिसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित व्यवहार एवं कर्त्तव्यो का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। यह स्थिति कानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती है।

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जाति प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडकर के क्या तर्क हैं?


जाति प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखमरी का भी एक कारण कैसे बनती रही है? क्या यह स्थिति आज भी है?


शारीरिक वंश-परंपरा और सामाजिक परंपरा की दृष्टि में असमानता संभावित रहने के बावजूद डॉ. अंबेडकर ‘समता’ को एक व्यवहार्य सिद्धांत मानने का आग्रह क्यों करते हैं? इसके पीछे उनके क्या तर्क हैं?


सही में डॉ. आंबेडकर ने भावनात्मक समत्व और मान्यता के लिए जातिवाद का उन्मूलन चाहा है, जिसकी प्रतिष्ठा के लिए भौतिक स्थितियों व जीवन सुविधाओं का तर्क दिया है। क्या इससे आप सहमत हैं?


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