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भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फै़सला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी. वी. समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।


भक्तिन के मामले में जिस तरह फैसला पंचायत ने सुनाया वह कोई हैरतअंगेज बात नहीं है।

- पिछले दिनों मुजफ्फनगर में एक मुस्लिम परिवार का केस भी पंचायत के सामने आया था। इसमें एक मुस्लिम महिला अपने ससुर के बलात्कार का शिकार बनी थी। बाद मे पंचायत ने उस पीड़ित महिला को ससुर के साथ निकाह कर रहने को विवश किया था, क्योंकि उनकी दृष्टि में वह अपने पति के लिए हराम हो गई थी। पति-पत्नी साथ रहना चाहते थे पर पंचायत बीच मैं आ गई और यह हैरतअंगेज फैसला सुना दिया।

- इसी प्रकार एक फौजी जवान को युद्ध के दौरान मरा मान लिया गया था और उसकी बीवी की शादी किसी दूसरे मुस्लिम युवक के साथ कर दी गई। उससे एक बच्चा भी हो गया। फिर पहला पति लौट आया। वह महिला भी पंचायत के निर्णय पर झूलती रही।

- इसी तरह का एक अन्य समाचार देखिए

पतियों के बीच फँसी महिला हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार

नई दिल्ली (का.स.)। 4 जनवरी, 2007 मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फैसला, एक तरफ उसका घर .......। योगिता की हालत इन दिनों कुछ ऐसी ही है। एक तरफ उसका पहला प्यार एवं पहला पति है तो दूसरी तरफ उसका दूसरा पति। उसे समझ में नहीं आ रहा कि वह जाए तो कहाँ जाए। उसका पहला पति उसे अपने पास बुलाने की जिद पर अड़ा है। अब उसे हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है। कोर्ट ने उसे सोच-समझकर फैसला करने को मना करने का मौका दिया है। मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी। इस दिन कोर्ट ने योगिता के साथ उसके पहले पति मोनू चौहान को भी तलब किया है।

योगिता को चार साल पहले मीनू चौहान से स्कूल में प्यार हो गया था। दोनों का प्यार परवान चढ़ा। घर वालों की मर्जी के बगैर दोनों ने गत 11 मई को आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। कुछ दिनों बाद योगिता के घर वाले उसे अपने साथ ले गए। 13 दिसंबर को योगिता की दूसरी शादी हो गई। इससे बौखलाए मीनू ने हाईकोर्ट में हेबियस कॉरपस की याचिका दायर कर दी। उसने अपनी याचिका में योगिता के घर वाले व उसके दूसरे पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 494, 495 के तहत मुकदमा दर्ज करवाने का आग्रह किया। गत 29 दिसंबर को न्यायमूर्ति एम. के. मुदगल व न्यायमूर्ति बी. डी. अहमद की खंडपीठ के समक्ष योगिता को पेश किया गया। कोर्ट ने इस मसले पर योगिता की माँ से भी पूछताछ की। योगिता की माँ दिल्ली पुलिस में एएस. आई. है।

इधर मोनू के वकील आर के. कपूर का कहना है ‘योगिता दोनों तरफ से फँस चुकी है। अगर वह अपने दूसरे पति के साथ रहती है तो मोनू की तरफ से उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा, क्योंकि ऐसे में दो-दो पति रखने का मामला बनता है जो हर हाल में गैर-कानूनी है। अगर योगिता मोनू के साथ आती है तो उसका दूसरा पति उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा सकता है क्योकि योगिता बालिग है और उसने अपनी मर्जी से मोनू से शादी की थी। श्री कपूर के मुताबिक योगिता का गुनाह सिर्फ इतना है कि उसने एक ऐसे लड़के से प्रेम विवाह किया जो उसकी जाति का नहीं है।

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भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?


महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढकर पढ़ें। जो मेरा परिवार नाम से प्रकाशित है।


पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हजारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उप्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ गंभीर परिचर्चा करें।


भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा ज़बरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ मे स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करे या न करे अथवा किससे करे) को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे?


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