Advertisement

‘कैमरे में बंद अपाहिज’ करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है’-विचार कीजिए।


यह कथन बिल्कुल सच है कि यह कविता करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है। ऊपर से तो करुणा दिखाई देती है कि संचालक महोदय अपंग व्यक्ति के प्रति सहानुभूति दर्शा रहा है, पर उसका वास्तविक उद्देश्य कुछ और ही होता है। वह तो उसकी अपंगता बेचना चाहता है। उसे एक रोचक कार्यक्रम चाहिए जिसे दिखाकर वह दर्शकों की वाह-वाही लूट सके। उसे अपंग व्यक्ति से कुछ लेना-देना नहीं है। यह कविता यह बताती है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकांश कार्यक्रम कारोबारी दबाव के तहत संवेदनशील होने का ढोग भर करते हैं। कई बार उनके प्रश्न क्रूरता की सीमा तक पहुँच जाते हैं। अत: यह कहना उचित ही है कि ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है।

631 Views

Advertisement

कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं-आपकी समझ से इनका क्या औचित्य है?


हम समर्थ शक्तिमान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?

यदि शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा?


‘परदे पर वक्त की कीमत हे’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है?

First 1 Last
Advertisement