‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के व्यंग्य पर टिप्पणी कीजिए।
इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यह व्यंग्य किया है कि हम टेलीविजन (मीडिया) के लोग तो बहुत ताकतवर हैं। हम जो चाहें, जैसे चाहें कार्यक्रम को दर्शकों को दिखा सकते हैं। कार्यक्रम का निर्माण एवं प्रस्तुति उनकी मर्जी से ही होती है। वे करुणा को बेच भी सकते हैं।
जिसके ऊपर कार्यक्रम केंद्रित होता है वह एक दुर्बल व्यक्ति है। वह दुर्बल इस मायने में है कि वह अपनी मर्जी से न तो कुछ बोल सकता है न कुछ कर सकता है। उसे वही कुछ करना पड़ता है जो कार्यक्रम का संचालकसंचालक/निर्देशक है। वह विवश है। उसके साथ संवेदनहीन व्यवहार किया जाता है।
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में मीडिया की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है। टेलीविजन पर मीडिया सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर लोगों के दुख-दर्द बेचने का काम करता है। उन्हें अपाहिज के दुख-दर्द और मान-सम्मान की कोई परवाह नहीं होती। उन्हें तो बस अपना कार्यक्रम रोचक बनाना होता है। वे अपाहिज और दर्शक के आँसू निकलावकर पैसा बटोरते हैं।
रघुवीर सहाय के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।
प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?
हम दूरदर्शन पर बोलेंगेहम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा
देता है?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दुःख क्या है
जल्दी बताइए वह दुःख बताइए
बता नहीं पाएगा।प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?
एक और कोशिशदर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वकत की कीमत है)
अब मुस्कुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद।दूरदर्शन वाले दूरदर्शन पर क्या बोलेंगे?