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नीचे दिए गए खबर के अंश को पढ़िए और बिहार के इस बुधिया से एक काल्पनिक साक्षात्कार कीजिए-

उम्र पाँच साल, संपूर्ण रूप से विकलाग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलाग है। इसके दोनों हाथ का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ एड़ी ही है।

पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबंगला रोड, तारामंडल और आर ब्लाक होते हुए पवन का सफर एक घटे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ। पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान ‘उम्मीद स्कूल’ के तकरीबन तीन सौ बच्च साथ दौड़ कर उसका हौसला बड़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे कि किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला आ रहा है। जहानाबाद जिले का रहने वाला पवन नव रसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना उड़ीसा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्या कुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।

(9 अक्टूबर, 2006 हिंदुस्तान से साभार)


साक्षात्कार

स्नेहलता

(प्रश्नकर्त्ता)

:

बुधिया, तुम कबसे विकलांग हो?

बुधिया

:

जब मैं पाँच वर्ष का था तभी से मै विकलांग हूँ।

स्नेहलता

:

क्या तुम्हें दौड़ने में कष्ट नहीं होता?

बुधिया

:

होता तो है, पर अब मुझे इसकी आदत-सी हो गई है।

स्नेहलता

:

तुम अब तक सबसे ललंबीदौड़ कितने किलोमीटर की दौड़ चुके हो?

बुधिया

:

मैं अब तक सबसे लंबी दौड़ पाँच किलोमीटर की लगा चुका हूँ।

स्नेहलता

:

क्या तुमने पी.टी. उषा का नाम सुना है?

बुधिया

:

हाँ सुना है। मैंने उसी से प्रेरणा ली है।

स्नेहलता

:

वह कितनी लंबी दौड़ लगा चुका है?

बुधिया

:

वह 65 किलोमीटर दौड़ चुका है।

स्नेहलता

:

बुधिया, तुम्हारा सपना क्या है?

बुधिया

:

मेरा सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।

स्नेहलता

:

बुधिया, हमारी शुभकामना तुम्हारे साथ है।

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यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी. वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।


रघुवीर सहाय के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।


प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

एक और कोशिश

दर्शक

धीरज रखिए

देखिए

हमें दोनों एक संग रुलाने हैं

आप और वह दोनों

(कैमरा

बस करो

नहीं हुआ

रहने दो

परदे पर वकत की कीमत है)

अब मुस्कुराएँगे हम

आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम

(बस थोड़ी ही कसर रह गई)

धन्यवाद।

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

हम दूरदर्शन पर बोलेंगे

हम समर्थ शक्तिवान

हम एक दुर्बल को लाएँगे

एक बंद कमरे में

उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?

तो आप क्यों अपाहिज हैं?

आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा

देता है?

(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)

हाँ तो बताइए आपका दुःख क्या है

जल्दी बताइए वह दुःख बताइए

बता नहीं पाएगा।

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