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चैप्लिन ने न सिर्फ़ फि़ल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने और वर्ण व्यवस्था तोड़ने का क्या अभिप्राय है? क्या आप इससे सहमत हैं?


लोकतांत्रिक बनाने का अर्थ है-फिल्मों को हर वर्ग तक पहुँचाना। चार्ली से पहले तक फिल्में एक खास वर्ग तक सीमित थीं। उनकी कथावस्तु भी एक वर्ग विशेष के इर्द-गिर्द घूमती थी। चार्ली ने समाज के निचले तबके को अपनी फिल्मों में स्थान दिया। उन्होंने फिल्म कला को आम आदमी के साथ जोड़कर लोकतांत्रिक बनाया।

वर्ण व्यवस्था को तोड़ने से अभिप्राय है-फिल्में किसी जाति विशेष के लिए नहीं बनतीं। इसे सभी वर्ग देख सकते हैं।

हम लेखक की इस बात से पूरी तरह सहमत हैं। कला सभी के लिए होती है। इस पर किसी वर्ग विशेष का एकाधिकार नहीं होना चाहिए।

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जीवन की जद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को। कैसे संपन्न बनाया?


लेखक ने कलाकृति और रस के इसके संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों? क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण ने सकते हैं जहाँ कई रस साथ-साथ आए हों?


लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण किसे कहा और क्यों? गांधी और नेहरू ने भी उनका सान्निध्य क्यों चाहा?


लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा जाएगा?


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